शुक्रवार, 22 मार्च 2019

आज होली है

आज होली है ,
रंग लगाना है ,
लगा लो,
अच्छे अच्छे रंग डालो,

ये लाल रंग है ,
लहू का भी लाल होता है,
फैसला तुम्हारा,

किसी  के लिए रक्तदान करो
या
बेगुनाहों का रक्त बहालो,

या रुके हर तरह का रक्तपात
ऐसी कोई व्यवस्था बनालो

और आप हरा रंग लाये हो ,
लगता है कीचड में नहाये हो,

आओ पूरी धरती को
फिर हरा भरा बनाये,
हों भरपूर फसलें,

फलों के बगीचे ,
फूलो की क्यारी
नहीं तों गमले ही लगाये,

और नीला ,
नीला आसमान
नीला समुद्र
साफ हो नदियाँ,

साँस लेने लायक हवा ,
पीने लायक हो पानी
नहीं तों ,

खुद ही मिट जाओगे 
तों होली कैसे मानोगे

पीला है तुम्हारा रंग
होली का अपनाओ नया ढंग,

गरीबी और बेबसी के कारण
जो बेटी आत्महत्या करने या,

बिकने को तत्पर है ,
उसे बचाने का
तुम्हे  एक अवसर है,

उसके हाथ पीले कर,
कफ़न से बचा लो
पीली चुनरी ओढा दो ,                                                                

जीवन में खुशहाली 
और उसके घर में
पीली होली सजादो |

तुम काला रंग ही लाये हो
या
तुम्हारा मन भी है काला ,

अपना  इरादा बतादो ,
अपना असली चेहरा तो दिखादो ,

हो सके तों ये रंग समाज पर नहीं
समाज के दुश्मनों पर डालो,

उन्हें ढूढ़ निकालो और बतादो
काले इरादों के लिए नहीं है स्थान,

ये
राम कृष्ण बुद्ध महावीर गाँधी के साथ
सुभाष का हिंदुस्तान

काला रंग और काला इरादा
लेकर आओगे
तों पछताओगे,

रंग के साथ हम
खून की होली भी
खेलना जानते है,

भूले तों नही ७१ और कारगिल ,
अब आओगे तों मिट जाओगे, .

बाहर आसान पर अन्दर छिपे
काले मन वालो से लड़ाई गंभीर है,

वे हमारे बीच छिपे
ना पहचाने जाने वाले
गुलाल और अबीर है,

आओ
मिल कर सफाई का पानी डाले ,
उन्हें ढूढ़ कर निकाले,

सियार का रंग उतर जायेगा ,
समाज उन्हें रास्ते पर लायेगा

फिर सभी रंगों को मिला कर
इन्द्रधनुषी रंग बनाये,

उसी की होली खेलें,
पूरे भारत को वही रंग लगायें,

अपना देश महान होगा
जी हाँ ऐसा हिंदुस्तान होगा,

विश्व को रास्ता दिखायेगा
फिर विश्व गुरु कहलायेगा,

आओ इन इरादों की
चन्दन और रोली लगाओ,

हाथ का खंजर फेंक दो
और गले से  लग जाओ |

होली हो रही

यहाँ वहा आज देखो होली हो रही

वहा पे हंसी  यहाँ ठिठोली हो रही

तय था होली एक दिन मनाई जाएगी

होली में  बुराई  सब  जलाई  जाएँगी

खुशियों से खेलेंगे हम रंग औ गुलाल

गले मिल कर दोस्ती  बढाई  जाएगी

एक दिन नही अब तों  रोज होली है

जी हा आज कि ये नई सोच होली है

होली गुजरात कि कश्मीर कि होली

सड़क हो या रेल बस होली  होली है

होली में जलाये भी तों कौन लकड़ियाँ

मिल रही है मुफ्त में तमाम लड़कियां

रेल, बस, घर  जलाने का अधिकार है

रोके कौन सबने बंद की है खिड़कियाँ 

होली का हुड़दंग हो या लोगो की चीख

यहाँ वहा जो भी मिले पहले उसे  खींच

आग में जलादे  चाहे खंजर पर उछाल

पानी से नही अब जमी लहू से ही सींच

देखो कही बम तों कही गोली चल रही

चारो ओर खून की बस होली चल रही

हम नहला रहे है अपनी माँ को लहू से

नफ़रत की ही बस यहाँ बोली चल रही

ऐसी होली भारत में और कब तक चलेगी

नफरत की कहानी भला कब तक  पलेगी

जले राम का हवेली या रहीम  का मकान

इंसानियत की होली ऐसी कब तक जलेगी

आओ ऐसी होली पर विराम लगाये

भाई चारे की कहानी फिर से सुनाये

आओ इंसानी जज्बे  को हम जगाये

नफरतो को होली में इस बार जलाये

बुधवार, 20 मार्च 2019

वो जब वो नही रहे

उन्होने पढाया था
हज़ारो को
इसलिये बस गये थे
उसी शहर मे
और
उनकी कविताओ पर
कितनी तालिया बजती थी
और
उनके भाषण
लगता था क्रांती कर देंगे
और
वो कितना अच्छा अभिनय
करता था / करती थी
किसी ने नही देखा
उसके दरवाजे की तरफ कभी
जब वो वो नही रहे
जब बदबू परेशान करने लगी
तब पडोसी परेशान हुये
और
शिकायत किया पुलिस को
तब दरवाजा तोड
निकाला गया कई दिन की
सडी लाश को
उस दिन लोगो ने भी कहा
और अखबार ने भी लिखा
कि
ये वो थे / थी
ऐसे थे और वैसे थे
और
लग गयी गिद्ध निगाहे
उनके घर पर ।
कितनी कहानियां
पसरी पडी है चारो ओर ।

पेड़ से टूटता है पत्ता

पेड़ से टूटता है पत्ता
उड़ता है इधर से उधर
गिरता है जमीन पर
हरा होता है
तो
कोई जानवर खा जाता है
सूख जाता है
तो
रौद दिया जाता है पैरो से
और
मिट्टी मे मिल जाता है
पेड़ से टूटती है डाल
सूख जाती है कुछ दिन मे
पतली होती है
या कमजोर होती है
तो जला दी जाती है
मजबूत भी होती है
तो भी काट दी जाती है
बना दी जाती है
कुछ न कुछ
किसी के बैठने को
या
सजावट की चीज बन जाती है
घर से भागने वालो
और
इस पत्ते या डाल मे
क्या फर्क होता है
कुछ भी नही न ।