गुरुवार, 18 जुलाई 2019

सपने देखता है

कितना बुद्धू था वो कि सपना देखता था
और सपने मे सबको अपना देखता था
उसे पता नही था कि सपने तो सपने होते है
वो तो सोने मे कल्पनाओ की उड़ान होते है
जागने पर वो कब अपने होते है
ये सपने क्या से क्या बनाते है और कहा ले जाते है
पर जब टूटते है तो किस कदर रुलाते है
इसलिये छोडो सोते हुये सपने मत देखो
हा देखो खुली आंखो से देखो खूब देखो
हकीकत के आसपास देखो
और हकीकत कभी धोखा नही देती
न सपनो का न अपनो का
अपनो की छोडो उस सपनो के पीछे लग जाओ
जो तुम्हे बुलंदी पर ले जाते हो
और तमाम तुमसे नफरत करने वालो को भी तुम्हारा अपना बनाते हो
आप सपना सपना खेले
बनाये सपनो के लिए बुनियाद
और अपनी इमारत बुलंद करने को चाहे जो झेले
पर बुलंदी पर पहुच कर मेहनत और लगन के सफलता का झन्डा फहराए
और ऐसे जंम जाये की फिर नीचे उतर कर न आये ।

बुधवार, 17 जुलाई 2019

अपनो को बहलाता है ।

जो दिन भर हंसी
चेहरे पर चिपकाता है
अकेले मे रात को रोता
फिर
सुबह से मुस्कराता है
वो भी एक इन्सा है
जो खुद को
और
अपनो को बहलाता है ।
क्या कोई जानता है
कि
वो क्या कहलाता है ।

रविवार, 7 जुलाई 2019

अभी आगाज है अब भी आवाज सुन लो पेट की

निकल पड़ें जब भी आज़ाद झोंके की तरह
हाँ शोर मचाएंगे और मशहूर हो जायेंगे हम
ये दस्तक है हमारी सुन लो गर बहरे भी हो
वर्ना बेचैन करने वाला शोर बन जायेंगे हम ।

हमें मुर्दा समझते हो निकलेंगे मुट्ठिया बांधे हुए
तुम देखते रह जावोगे और झंडा फहराएंगे हम
हमें राख समझा है अन्दर की चिंगारी नहीं देखा
हाँ देखोगे उदासी से जब शोला बन जायेंगे हम ।

अभी आगाज है अब भी आवाज सुन लो पेट की
अभी आगाज है अब भी आवाज सुन लो खेत की
अभी आगाज़ है फुटपाथो पर अब  नजर कर लो
जमीन पर जब गिरोगे तुम खुश हो मुस्करायेंगे हम ।