तब राम तुम क्यो आये थे
अब चुप होकर क्यो बैठे हो
बहुत थके हो तुम लंका से
या फिर क्यो रूठे रूठे हो
रूठे हो खुद से या कैकेयी से
या मंथरा से या अपनी माँ से
जो तुम्हरी खातिर लड़ी नही
और राजपाठ को अड़ी नही
या मंथरा से या अपनी माँ से
जो तुम्हरी खातिर लड़ी नही
और राजपाठ को अड़ी नही
यदि खुद से रूठे तो अच्छा है
ये रूठना फिर सच्चा है
फिर मर्यादित कैसे होते
ये सवाल भी बहुत बड़ा है
ये रूठना फिर सच्चा है
फिर मर्यादित कैसे होते
ये सवाल भी बहुत बड़ा है
तब तो केवल एक था रावण
अब रावण की फौज खड़ी हैं
तब तो थी छोटी सी लंका
अब की लंका बहुत बड़ी है
अब रावण की फौज खड़ी हैं
तब तो थी छोटी सी लंका
अब की लंका बहुत बड़ी है
तब क्या सब बहुत बुरा था
अब क्या रामराज्य आ गया
सोचो तब क्यो तुम आये थे
और अब क्यो उदासीन हो
अब क्या रामराज्य आ गया
सोचो तब क्यो तुम आये थे
और अब क्यो उदासीन हो
आते तो तुम अब भी लेकिन
मंदिर मस्जिद पर आते हो
या त्यौहार में आ जाते हो
या फिर प्रचार में आ जाते हो
मंदिर मस्जिद पर आते हो
या त्यौहार में आ जाते हो
या फिर प्रचार में आ जाते हो
क्या कमाल था वो पत्थर थी
तुमने उसमे जान डाल दी
बहुत डरा था नाव लिए वो
वो नाव जो वही खड़ी थी
बहुत डरा था नाव लिए वो
वो नाव जो वही खड़ी थी