पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
रविवार, 31 अक्टूबर 2021
बचा सको तो बचाओ अपनो को
शनिवार, 30 अक्टूबर 2021
जिंदगी अपनो की अमानत है
सोमवार, 18 अक्टूबर 2021
राजनीति व्यापार हो गयी
रविवार, 17 अक्टूबर 2021
मुल्क को बस सताए जा रहे है
बाते बस बाते बनाये जा रहे है
सभी को बस सताए जा रहे है
जहन्नुम जिंदगी को कर दिया है
बेशरम मुस्कराये जा रहे है
वादे क्या किये थे तब सभी से
अब जुमले बताये जा रहे है
कोविड से तो लाखो मर गये थे
ये तो भाषण सुनाये जा रहे है
लाखो मजदूर निकले थे घरो से
उन पर डंडा बजाये जा रहे है
चेहरे पर शिकन इनके कहा है
मौत के वजहें गिनाये जा रहे है
गांधी को रोशनी दुनिया ने माना
ये गोडसे को चमकाए जा रहे है ।
मैंने कहा मिलते नहीं
मैंने कहा मिलते नहीं
उसने कहा की क्यों मिले
मैंने कहा बस चाय पर
उसने कहा काफी पसंद
मैंने कह वो ही सही
उसने कहा रहने ही दो
मैंने कहा ऐसा भी क्या
उसने कहा ऐसा भी क्या
कि ये भी सही वो भी सही
टिकते नहीं तुम चाय पर
तो भरोसा तुम पर क्यों
कल भी टिकोगे या भगोगे
मैंने कहा वादा रहा
उसने कहा ज्यादा रहा
जाने ही दो तुम भी चलो
किसी और को देखो कही
उससे मिलो पर अब टलो