मै चला था कि बस एक हस्ताक्षर होगा
और दूर हो जाएगी मेरी सारी समस्याएं
चहकने लगेगा मेरा परिवार और बच्चे
लग जाएगी मेहदी एक बेटी के हाथों में
पर नहीं जानता था कि कितने महंगे है
ये हस्ताक्षर और इन्हें करने वाले लोग
इन्सान नहीं है,बल्कि पैसे की मशीन है
ये लोग बहुत बड़े हो गए है बहुत ऊंचे भी
ये सीढ़ियों की तरह इस्तेमाल करते है
लोगो को ,उनकी भावनाओं,आस्थाओं को
पर खुद हो गए है पत्थर केवल पत्थर
पत्थरों को क्यों सत्ता क्यों वैभव क्यों पैसा
पत्थर क्या करेंगे इन चीजों का, क्या करेंगे
ये चीजें तो इंसानों के लिए है इंसानों के लिए
सत्ता होती है लोगो की लोगो द्वारा लोगो के लिए
पर ये लोग तो खुद ही बन गए है तीनों लोग
फिर कहा बचते है मै ,आप या कोई और
मै बड़े विश्वास से गया था अपना समझ कर
पर लौट आया बेगाना बन कर लडखडाता हुआ
ये भी जीवन का एक कड़वा सत्य है ,हा सत्य
पर हार जाने के बजाय उन्हे हराना है मकसद .
जो इन्सान नहीं पत्थर बन गए है कठोर पत्थर
सकल्पों को मांज लेना है तय कर लेना है कि
लड़ाई अभी बाकी,है फैसलाकुन लड़ाई बाकी है
उठूँ बहुत चल लिया अब उन्हें चलता करना है
यही है संकल्प ,यही है इरादा,बाकी अपने संकट
वो छोड़ देता हूँ वक्त के हाथों में ,संघर्ष के हाथों में ।
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