यथार्थ के आसपास २
1-मस्ती क्या है मन से जीना
चाहे जो खाना या तो पीना
भूख लगी तो पानी खाया
प्यास लगी खारा जल है
ना खाया तो टोकेगा कौन
खूब पिया तो रोकगा कौन
पट्टी बाँध पेट पर सो जा
या अगस्त मुनी ही
हो जा
2- अब हमे जीने का मज़ा आने लगा है
खुद का दिल खुद को बहलाने लगा है
ये आंख से बहता समन्दर देखते सब
दिल आँख से पैमाना छलकाने लगा है ।
अभी अपनों को दरिया पार करवाने की ख्वाहिश है ।
हम नहीं होंगे तो पता हैं सब बिखर जायेगा अपनों का
तुमको क्या तुम खुद हो ये सब तुम्हारी आजमाइश है ।
मैं जब जब आता हूँ मेरा सर लगता है
घायल न हो जाये मन या हो मेरा वजूद
तुम्हारे घर आने में
बहुत डर लगता है |
जितना कर सकते हो तुम जी भर मुझ पर वार करो
मैं जब सामने आ जाऊंगा तब तकलीफ होगी तुम्हे
बता दे हूँ रहा तुमको तुम खुद को अब तैयार करो |
बस सपने ही अपने होंगे बाकी सब कुछ खोना है |
चिड़ियाँ चली गयी अब अपने आशियाँने को
इस तरह से अपने जीवन का काम हो जाये
मिल कर के गद्दारी कर
मैं हारूं और जीते तू
ऐसी साज़िश भारी कर ।
मुह माँगा दे दो तो कानून बना देते हैं
हाकिम की कीमत जान लो,जेब भारी हो
क्या गलत क्या सही ये तो किताबी बाते है
हर कोई बिकने को तैयार है बस तैयारी हो ।
घर और दफ्तर सब ही दूकान हो गए |
और कोई मंदिर जाकर वहां भी राजनीती चला रहा
पर जिसके कारण है आज किसी लायक बने हैं सब
उस दरिद्रनारायण के पास आज कोई नहीं जा रहा।
कलम हो जुबान हो या फिर जमीर हो ।
१५-अंदाज क्या है लोगो की आशिकी का
गुलों की बात करते गोली मार देते हैं ।
घूमे घामे .और पीये खाएं
चलो नया इतिहास बनाए
बस भाषण दे राशन खाए
चलो नया इतिहास बनाये
बस प्रचार का ढोल बजाये
चलो नया इतिहास बनाये
कुछ न करना ढोंग सजाए
चलो नया इतिहास बनाये |
१७-हवाए देख कर कितनो ने हम पर धूल फेकी है बस प्रचार का ढोल बजाये
चलो नया इतिहास बनाये
कुछ न करना ढोंग सजाए
चलो नया इतिहास बनाये |
हमने बस पीठ फेर ली यारो तो बुरा मान गए ।
उनको कुछ भी देना मुझसे हिसाब लेना
१९-जिंदगी ही इस कदर व्यापार बन गयी
चारो तरफ घर टूट कर बाजार बन रहे
२०-जब चाहो तुम किसी का भी दिल तोड़ दो मालिक हो
जब चाहो किसी का भी मुकद्दर फोड़ दो मालिक हो
जब चाहो आसमान पर उडो या जमीन पर झांक लो
जब चाहो तुम जिससे नाता जोड़ लो तुम मालिक हो |
२१-कोई सवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल
कोई बवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल
पेट रख दे किसी सिद्धांत की किताब में तू
भूख ,ख्याल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल |
२२-वो समझते है कोई एहसान किये बैठे है
दरअसल हमारा ही सामान लिए बैठे है |
हम तो लुटते रहे हर वक्त हर चौराहे पर
वो हर चौराहे पर ही दूकान लिए बैठे है |
हम बने सीढियां तो मीनार तक वो पहुचे
हम सीढ़ी रह गए वो भगवान् बने बैठे है |
बड़े बड़े थे वादे सबकी कहानी बदलेगी
हम पत्थर भी नहीं वो भगवान बने बैठे है |
लावारिश होते कई लोगो को हमने देखा है
स्वयंभू भगवान आज बे पहचान बने बैठे है |
२३-इतना भी मत इतराओ की आज सूरज हो
सब दफ्न होते है वो शमसान हमने देखा है |
हमारा क्या जमी पर गिर के वही रह जायेंगे
आसमां से गिरे को लहूलुहान हमने देखा है |
कर सको तो नीव की ईंटो की भी क़द्र करो
वर्ना जमीदोज होते कई मकान हमने देखा है |
लोग कहते है बहुत ख़ास है हमेशा साथ रहता है ।
२५-अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है
मन इतना परेशांन सा क्यो
है
न कोई बात है,न कोई भाव ही
दर्द इतना मेहरबान सा क्यो है |
दर्द मन में,दिमाग में,लहू में भी
दर्द तन में,दिल औ वजूद में भी
दर्द साँस ,धड़कन औ रूह में भी
ये दर्द हुआ आसमान सा क्यूं है
२६--दूरी हो गयी इतनी और हमें पता ना चला
हम कह नहीं पाए और तुम सुन नहीं नहीं पाए
हम कह नहीं पाए और तुम सुन नहीं नहीं पाए
कितना भी भरा पूरा घर हो और हो आमदनी उसे कौन बचाएगा |
२८-ईमानदारी वफ़ादारी और शर्म कही मैं टांग आया हूँ
तेरी मेहनत तेरी कुर्बानिया मेरे किस काम आएँगी |
२९-तू मेहनत कर संघर्ष कर और सरकार बनाता जा
मैं खाता जाऊंगा तेरी खेती बस तू हल चलता जा |
३०--इरादे देख कर तेरे अब
चौकन्ना हो गया हूँ मैं
या तू मुझको मरेगा या अगला युद्ध हारेगा |
या तू मुझको मरेगा या अगला युद्ध हारेगा |
३१--छल एक जीत दे सकती पर
स्थाई नहीं होती
टिकने के लिए तो सबका ही विश्वास चाहिए |
टिकने के लिए तो सबका ही विश्वास चाहिए |
3२--अभिमन्यु को मारा था तो क्या युद्ध जीता था
कभी कुछ भेडिये मिल कर शेर को भी मार देते है
कभी कुछ भेडिये मिल कर शेर को भी मार देते है
३३
-जितना तूने सबका खून बहा दिया
,
उससे
कई गुना हमने दान कर दिया |
३४
-जितना तेरे घर में सब कुछ होता है ,
उतना
तो हम खेत में ही छोड़ देते है |
मैं जब मौन हो जाऊंगा तभी सब जान पावोगे
न हम होंगे न शब्द होंगे न भाषण और बहस
न दिखलायी पडूंगा तब हमें पहचान जाओगे |
३६- सीढियां तुमको मुबारक हो
मैं तो जमीन पर चल रहा हूँ ।
३७--कोई जिंदगी से क्या गया
कि नीद भी साथ ले गया ।
कि नीद भी साथ ले गया ।
३८-कहा हो तुम कहते थे,
अब कोई नहीं
पर देखो लोग तुमसे मुझे छीन रहे है ।
पर देखो लोग तुमसे मुझे छीन रहे है ।
३९-देखो हमारी अनुभुतियां बड़ी हो गयी
तुम नहीं पर पैरो पर खड़ी हो गयी ।
तुम नहीं पर पैरो पर खड़ी हो गयी ।
४०-देखो ये आँखों का पानी आंसू तो नहीं है
कुछ गिर गया इसमें और बह रहा है वो ।
कुछ गिर गया इसमें और बह रहा है वो ।
४१-मैं सोने की कोशिश करता हूँ,
तुम्हे भूलकर
तुम्हे गलतफहमी है की तुम ही मेरी नीद हो ।
तुम्हे गलतफहमी है की तुम ही मेरी नीद हो ।
४२-साथ चलने का वादा गर दोनों ने ही निभाया होता
तो चिता दोनों की ही ज़माने ने साथ सजाया होता ।
तो चिता दोनों की ही ज़माने ने साथ सजाया होता ।
४३-
दोनों साथ गए होते दोनों ही साथ रोते
अनुभूतिया मिट जाती जिंदगी को ढोते ।
अनुभूतिया मिट जाती जिंदगी को ढोते ।
४४-देखो मजाक बहुत हो गया तुम कहा हो अब आवाज तो दो
मैं तो वही हूँ जहा तुम छोड़ गए थे अपनो के साथ देखो तो ।
मैं तो वही हूँ जहा तुम छोड़ गए थे अपनो के साथ देखो तो ।
४५-
मैं अब हार रहा हूँ कर्त्तव्य निभा नहीं
पाया
अकेला हो अपनों को राह दिखा नहीं पाया ।
अकेला हो अपनों को राह दिखा नहीं पाया ।
४६-अच्छा थक गए न अब तुम आराम करो
अपनी सारी तकलीफे मेरे ही नाम करो ।
अपनी सारी तकलीफे मेरे ही नाम करो ।
नासमझ मुझको अपाहिज ही मान लेते हैं ,
मान कर कमजोर मुझको वे उपदेश देते है
अज्ञानी मान कर मुझको पूरा ज्ञान देते है |
४८-
मैं रबड़ का पेड़ हूँ कितना गिरा दो और
दबा दो
नहीं होगी मौत मेरी फिर से मैं खड़ा हो जाऊंगा |
की मर गया मैं पर खुली आँखे तुम्हे तलाश रही |
अपनों की जेब में ही हैं खंजर छुपे हुए ।
५१-तुम्हारे प्रेम में बर्बाद हो गया है कौन
कोई चिंता नहीं बंसी बजा रहे हो तुम |
५२-मैं एक पत्ता नहीं हवा में उड़ा दे कोई
जमीन में धंसी मेरी जड़े इमान की,
होगी उनके पास ताकत शैतान की
पर मेरे पास है इंसानियत इंसान की |
५३- मैं हमेशा दरवाजा खुला रखता हूँ अपना
जाने कब कोई हवा का झोका आ जाये ।
५४- कौन मरना चाहता है, अपनी ख़ुशी से
मौत को मुझसे इतना प्यार हो गया
।
५५- ये दिया है पर सूरज को भी ललकारेगा
अँधेरा हो कैसा भी पर ये उसको मारेगा
५६- कुछ खास नहीं है सब आम हो गया
आदमी था काम का बेकाम हो गया ।
वो तो आये ही थे बस हाल पूछने मेरा
और मैं तो मुफ्त में बदनाम हो गया |

पर वो भूल गए हमको हिसाबो की तरह
५८-चमचे चुगलखोर दोनों महान
है
वाह वाह देखो क्या इनकी शान है
भूखे नंगे थे ये अब करोडो वाले है
सभी को चूस गए मकड़ी के जाले है
बड़े बड़े ज्ञानी इनसे धोखा खा गए
ऐसी खास ताबीज गले में डाले है
जी हाँ सचमुच ये बहुत ही महान है
मजे में तो हो,
पानी तो कम नहीं है |
बहुत हो गया खुद की जिंदगी से लड़ना |
हमेशा खुद को मजबूत पाया हमने ,
लोग कहते है अब की डूब जाओगे
पर बीच समुंदर
तैरता पाया हमने ।
दो कदम साथ चलो,
खासो आम देखेंगे ,
पहले क्या तय करना क्या है नसीब में
मेरा हाथ पकड़ो तो फिर अंजाम देखेंगे ।
तेरे बनाये पुतले ये क्या कर रहे है
तूने दिया था बोने को फल,
फसलें
पर ये इन्सान तो बारूद बो रहें
है ।
६४- कहूँ ,ना कहूँ या कह ही डालूँ
बीत जाती है, जिंदगी इसमे |
ख़ामोशी को सहना,
नही आसान है
कुछ कहें तो चाहे नफ़रत से ही सही
वो भी तो किसी पर एक अहसान है |
६६
-जिसे भी छूता हूँ,
वो टूट जाता है,
कुछ
भी कहता हूँ तों रूठ जाता है
क्या
करू मेरी किस्मत ही ऐसी है,
जिसे
भी चाहता हूँ वो छूट जाता है |
६७
-तमाम उम्र हम चलते रहे और लोग जलते रहे ,
अब
हम जलते जा रहे है लोग चलते जा रहे है |
६८
-आइये जिन्दगी के नए मायने तलाश करे ,
दिल
को जोड़ा तों फिर दिल पर विश्वास करे ,
ऐसा
क्या जुड़ना कि दिल ना करे धक् धक्,
आइये
तन मन के अहसास का अहसास करे ,
६९
-आप भी गर अच्छे है तभी मिल पाते है जनाजा उठाने वाले,
वो
भी खुशकिस्मत होते है जिन्हें मिल जाते है जलाने वाले|
जो
गैर है अपने नही उनको क्या देखना और क्या सोचना,
आज
कल ऐसे ही होते है मतलबपरस्त तमाम ज़माने वाले|
७०
-कोई मेरे सोये दिल को जगाये तों कोई
बात बने ,
कोई मेरे
घर में भी दीप जलाये तों कोई बात बने |
बहुत
दिन हो गया मैंने तों कोई खुशियाँ नही देखी ,
दामन
में कोई खुशियाँ ले आये तों कोई बात बने |
७१
-अँधेरे मेरे घर के देखो दूर से ही दिखलाई पड़ते है,
मेरे
घर का अँधेरा कोई भगाए तों कोई बात बने |
सभी
के घर बहुत रोशन, सभी के घर में
दिवाली
,
कोई
मेरी भी दिवाली मनवाए तों कोई
बात बने |
७२-मैं पत्थर हूँ बिना काम का मुझे कहां ले जाओगे,
कथा हमारी मत पूछो, सुन कर पागल हो जाओगे|
क्या बतलाऊं धोखे, कांटे, विष के जंगल भरे हुए,
मत सहलाना दर्द हमारा, तुम घायल हो जाओगे|
७३ - लकीरें साथ है जिनकी जब तक
बुरे करम भी नहीं मार सकते है |
बुरे करम भी नहीं मार सकते है |
७४ -इतने झूठ बोल कर अपना बनाये रखना
बाजीगरी है कैसी और क्या खूब हुनर है ।
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