ईश्वर क्या है ?
जो अज्ञात था है और रहेगा
या
प्रकृति ही ईश्वर है
क्योंकि
पत्थर पेड़ और
विभिन्न पशु पक्षी को माना
हमने ईश्वर ,
जो हमारा नुक़सान कर सका
या
जिससे हम डरे उसे माना ईश्वर
फिर हम समझदार हो गए
तो गढ़ने लगे ईश्वर के स्वरूप
ईश्वर ने सब कुछ बनाया
पर
हम बनाने लगे अपने अपने ईश्वर
ईश्वर एक डर है
ईश्वर हमारा लालच है
ईश्वर जीने की इच्छा है
ईश्वर मौत का डर है
ईश्वर हथियार बन गया हमारा
ईश्वर व्यापार बन गया हमारा
किसी ने नही देखा ईश्वर
किसी से नही मिला ईश्वर
पर
डीह बाबा , सम्मो माई
जियुतिया माई से लेकर
संतोषी माता तक
और
साई बाबा से लेकर
तमाम पत्थरों तक फैल गए ईश्वर
फिर ईश्वर बनने का चस्का
इंसानो में भी लग गया
पहले सब डरते थे बुरा करने से
जब ईश्वर अज्ञात था
या
उसके प्रतीक दुर्गम जगहों पर थे
मनुष्य ने अपने स्वार्थ में गली गली
चौराहे चौराहे पर बैठा दिया ईश्वर
तो डर ही ख़त्म हो गया
ईश्वर के ठेकेदारों ने निकाल दिए रास्ते
हमेशा पाप और बुरा करो
पर बीच बीच में कही नहा आओ
पूजा करते रहो कराते रहो
और जिसको जो ठीक लगे
उस धर्म स्थान पर जाते रहो
पाप धुल जाएगा
और
इस व्यवस्था से बढ़ने लगा पाप
जब कोई एक रावण कंस जडीज था
तो अवतार ले लेता था ईश्वर
कहानिया तो यही बताती है
पर जब बुरो की फ़ौज हो गयी
तो
अपने आसमान में छिप गया ईश्वर
बेचारा किस किस से लड़े ईश्वर
और
किस शक्ल में आए दुनिया में
कि लोग स्वीकार ले उसे ईश्वर
क्योंकि
इंसान ने गढ़ दिए है हज़ारो
और
ईश्वर से परिचय का दावा करने वाले
ख़ुद भी बन बैठे है ईश्वर
जिसे देखा ही नही
उसे क्या मानना ईश्वर
ओकसीजन आज ईश्वर है
और
उसके लिए पेड़ ईश्वर है
पानी भी ईश्वर है
जी हाँ प्रकृति ही ईश्वर है
इसलिए मंदिर मस्जिद नही
प्रकृति को बचाओ
ईश्वर अल्ला जहाँ है वही रहने दो
अपने बचने के ठिकाने बनाओ ।
ईश्वर कल्पना है
उस पर कहानी और कविता खूब लिखो
पर प्रकृति के साथ दिखो
ईश्वर शक्ति है तो उससे डरो
और कोई पाप मत करो
ईश्वर के ईश्वर मत बनो
बन सकते हो तो भागीरथ बानो
नदियों को बचाओ
देवस्थलो के बजाय
जीवन स्थलो पर पैसा लगाओ
देवस्थलों के बजाय पेड़ उगाओ
ईश्वर ख़ुश होगा और जीने देगा
वरना एक दिन पानी भी नही पीने देगा ।
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