खुद पढ़ोगे तो बहुत पीछे रह जागोगे
ज्यादा से ज्यादा कोई नौकरी पावोगे
मुश्किल से घर चलाओगे
बड़ा बनना है
तो
सबको पढ़ाओ दो दूनी इक्कीस
सब मुझे दे दो तो होगा बाइस
पढ़ाना सीख गए तो ऊंचाई पर जागोगे
सेठ और मंत्री क्या प्रधानमंत्री बन जागोगे ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
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