शनिवार, 6 जुलाई 2024

ये दिल्ली ने कहा है

ये दिल्ली ने कहा है 
की 
कलम को तोड़ दे सब 
अगर कुछ सोचते है 
जो हमसे कुछ अलग है 
उस चिंतन को मोड़ दे सब
ये दिल्ली ने कहा है 
अब कोई कविता न लिखे 
लिख रहे है 
तो ऐसा वैसा न लिखे 
जो दिल्ली को नहीं
अच्छा लगेगा 
ये दिल्ली ने कहा है 
न कोई फिल्मे बनाये 
न ही कोई गीत गाये 
न नाटक ही दिखाए 
जो दिल्ली को न भाये 
ये दिल्ली ने कहा है 
सूरज पूरब से निकलता 
ये औरो ने कहा था 
सूरज अब पच्छिम से उगेगा  
भारत में रहेंगे तो 
पूरब को सब लोग अब 
पच्छिम कहेंगे   
ये दिल्ली ने कहा है 
बदलो से नहीं होती है बारिश
मेढक की शादी न हो
तो बारिश हो नहीं सकती 
सब मान लो सब शादी कराओ 
ये दिल्ली ने कहा है 
हमसे पहले कुछ नहीं था 
जो किया हमने किया है 
ये जमीन आसमान नदिया 
हवाए सब हमने दिया है 
ये दिल्ली ने कहा है  ।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें