पहाड़ टूट रहे है
जमीन धंस रही हैं
पुल टूट रहे है
सड़के धंस रही है
समुद्र उफन रहा है
किसको कोसे
प्रकृत को या खुद को
पढ़ा था
जब पृथ्वी पर बोझ बढ़ेगा
पृथ्वी खुद ठीक कर लेगी
प्रकृति की बरबादी का हिसाब
प्रकृति हो तो लेगी
या तो प्रकृति के साथ हो जाओ
या फिर प्रकृति का कहर झेलो
प्रकृति के साथ खेलो
या प्रकृति से खेलो
तय हमे करना है
प्रकृति की साथ रहना है
या प्रकृति का प्रकोप सहना है ।।
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