तुम मैली हो जाओगी
बैठी रहो दूर
निहारता रहूं पूरा का पूरा
निगाहे मैली नहीं है मेरी
पास आकर कुछ कम हो जावोगे
बस ओंठ दिखेंगे या वक्ष
मैं नहीं चाहता
कि
तुम इतने तक सीमित हो जाओ
मैं बस सुनते रहना चाहता हूं तुम्हे
एहसास करना चाहता हूं घंटियों का
जो बजती है मेरे कानो में
इसलिए तुम दूर बैठी रहो सामने
बस हिलते रहे तुम्हारे ओंठ
मुस्कुराती रहे तुम्हारी आँखें
बुलाती रहे तुम्हारी आँखें
और मैं मोहपाश में बंधा
ठिठका रहूं जहां का तहां ।