सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

मैं तुम्हे छूना नहीं चाहता

मैं तुम्हे छूना नहीं चाहता हूं 
तुम मैली हो जाओगी 
बैठी रहो दूर 
निहारता रहूं पूरा का पूरा
निगाहे मैली नहीं है मेरी 
पास आकर कुछ कम हो जावोगे 
बस ओंठ दिखेंगे या वक्ष 
मैं नहीं चाहता 
कि 
तुम इतने तक सीमित हो जाओ 
मैं बस सुनते रहना चाहता हूं तुम्हे 
एहसास करना चाहता हूं घंटियों का 
जो बजती है मेरे कानो में 
इसलिए तुम दूर बैठी रहो सामने 
बस हिलते रहे तुम्हारे ओंठ 
मुस्कुराती रहे तुम्हारी आँखें 
बुलाती रहे तुम्हारी आँखें 
और मैं मोहपाश में बंधा 
ठिठका रहूं जहां का तहां ।

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