क्या अभी भी बच जाएगा हिंदुस्तान ?
तब भी शोर था पर नारो का
सार्थक नारो का
कही इंकलाब जिंदाबाद
कही महात्मा गांधी जिंदाबाद
स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा
करो या मरो
अंग्रेजो भारत छोड़ो
दुश्मन स्पष्ट था और उद्देश्य भी
फिर अचानक एक शोर हुआ
ठाय ठाय ठाय
और
फिर देश में गूज उठा नारा
महात्मा गांधी अमर रहे
थर्रा गया भारत और मानवता
पर सम्हाल पर चलता रहा भारत
और
पहुंच गया ऊंचाइयों पर
आज फिर शोर है
आजादी की लड़ाई का विरोध करने वाली का शोर
कर्कश शोर क्रोधित घृणा लिए
जय श्रीराम जय श्रीराम
गोडसे जिंदाबाद फासीवाद जिंदाबाद
नफरत भय आशंका से घिरा देश
नारो नारो में कितना फर्क होता है ।
अंग्रेजो के आतताई शासन से तो बच निकला
पर क्या अभी भी बच जाएगा हिंदुस्तान ?