नाम वाले अक्सर
बहुत अकेले होते है
उनका नाम होता है
उनके अकेलेपन का कारण
और
कई बात
वो स्वयं शिकार होते है
गलतफहमी के
कितने पर्दे पर चमकने वाले
मर गये लावारिश
और
वो प्रोफेसर साहब
जिन्हे फख्र था
कि
हजारो उनके पढाये
रहते है इस शहर मे
और वो गाँव नही गये
वही बस गये
वो जो रहते थे
अपने कुत्ते के साथ
और वो हीरोइन भी तो
ये सब मर गये लावारिश
एक न एक दिन
और
पडोसियो ने भी नही देखा
कि
क्यो नही दिखे बाहर
खिडकी पर
या बालकनी मे
कई दिन से
पर ये सच नही
कि उन्होने नही देखा
देखा पास जाकर
सभी ने
जब सब
बदबू से परेशान हुये
जो उठ रही थी
सड़ी हुयी लाश से
कितना प्यार करता था
उनका कुत्ता उनको
और
कितना बफादार था
पर उसको भी
भूख लगती है
नही मिला भोजन
तो खा लिया
अपने प्यारे मालिक
या मालकिन को ही
सचमुच कितना अकेला
हो गया है
हर शक्स इस दुनिया मे
किसी का कोई नही
और नाम वाले तो
खैर सचमुच
बहुत अकेले होते है
और अभिशप्त होते है
लावारिश मौत के लिये
तब जो है ही अकेले
और सधनविहीन बेनाम भी
वो तो और भी न जाने
किस किस चीज के लिये
अभिशप्त होते है
पर मौत से पहले
बाहर निकल कर
चिल्ला सकने का मौका
तो होना ही चाहिए
या
सड़ने से पहले
शरीर और अंग
दान दे देने का
ताकि बदबू से पडोसी
परेशान न हो
और
अगर कुत्ता है साथ मे
भूख के कारण
उसकी वफादारी कलंकित न हो ।
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