पहले अपने हिन्दूस्तान के लिये उठो
ऐ पढने लिखने वालो उठो
ऐ कविता करने वालो उठो
ऐ नाटक करने वालो उठो
सब मंच सजाने वालो उठो
सब कलम चलाने वालो उठो
सब दिमाग लगाने वालो उठो
सब आवाज उठाने वालो उठो
कि
कोई तुमारे अनंत नील गगन
और तारो को छीन न ले
उठो की चन्द्रमा तुम्हारा ही रहे
प्रेम के लिये प्रेरित करता रहे
उठो कि सूरज पर
कोई अधिकार न जमा ले
और वो सबको रोशनी देता रहे
उठो की हवाए
किसी की कैद मे न हो
स्वतंत्र चलती रहे
उठो की हरियाली
किसी की जागीर न हो
सबकी हो
उठो की फूलो को
खिलने से रोका न जा सके
और सब फूल सब रंग
गुलजार करते रहे बगीचे को
उठो की नदिया
कोई सोख न ले
और वो बहती रहे निरंतर
स्वछ और निर्मल
उठो की आज़ादी महफ़ूज रहे
उठो की जम्हूरियत
किसी की जूती न बने
उठो की लव खामोश न हो
उठो तो तुम्हारी धड़कन
और तुम्हारी सांसे
तुम्हारी ही हो
उठो कि दुनिया
अब शमसान न बने
उठो की चंगेज स्टालिन
हिटलर मुसोलिनी
अब कोई इन्सान न बने
उठो अपनी आन बान
शान के लिये उठो
उठो मानवता और
दुनिया के लिये उठो
पहले अपने हिन्दूस्तान
के लिये उठो ।
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