जीवन केवल मृग मरीचिका है
विचार कुलांचे भरते रहते है
रेगिस्तान के पानी के
एहसास के साथ
भागता रहता है इंसान
और
पानी के लिए तड़प
दौड़ाती रहती है
यहां से वहां तक
वहां से वहाँ तक ।
कोई साथी हो
जो चिकोटी काट कर
यथार्थ के धरातल पर उतार दे
और
वो भी नही है
तो भटकन अनन्त है ।
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