अजीब बात है
दो देशो के जवान
जो एक दूसरे को
जानते तक नही है
पहचानते नही है
कोई लड़ाई नही है
उनकी आपस मे
पर वर्दी पहन ली
तो खूँन बहा रहे है
एक दूसरे का
जानी दुश्मन बन कर
जी इसी को शायद
युद्ध कहते है ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें