राम कृष्ण बुद्ध
मुहम्मद और ईसा
नही खत्म कर पाये
मानव के विनाश का युद्ध
ईसा को छोड सब
खुद भी तो युद्धरत रहे
और बो गये
भले बुरे के नाम पर
युद्ध की खेती
जो हजारो साल से
फैलती ही जा रही है
कौन मिटायेगा
हर भाषा से
ये शब्द "युद्ध "?
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
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