बुधवार, 17 जुलाई 2024

चलो चले वहाँ दूर कही दूर ,जहाँ कुछ आस है कुछ प्यार है और उम्मीदें कुछ ।

चलो चले वहाँ 
दूर कही दूर ,
जहाँ कुछ आस है 
कुछ प्यार है 
और उम्मीदें कुछ ।

छोटे शहरो के रिश्ते

छोटे शहरो के 
शहद जैसे रिश्ते 
बड़े शहरो की 
जमीन पाते ही 
कड़वे हो गये
जो फेविकाल से
जुडे लगते थे 
बुलबुले हो गये ।

बहुत ही अपने जब संपन्न हो जाते है

बहुत ही अपने 
जब संपन्न हो जाते है 
या चढ़ जाते है 
ऊंची पायदाने 
उग आती है 
ऊंची दीवारे 
अपनो के बीच 
रिश्तो मे,भावो मे ।

मंगलवार, 16 जुलाई 2024

वो सदमे में ही रहा होगा शायद

वो सदमे में ही  रहा होगा शायद

उसने कुछ नहीं कहा होगा शायद

कितना शोर और कितना धुआं था

उसने कुछ देखा सुना होगा शायद

लगी थी हाट सब कुछ बिक रहा था

कुछ छुपा और कुछ दिख रहा था 

वे सब आये थे जो सब खरीद लेते है

उनसे कुछ भी ना बचा होगा शायद

जो लोग जीत कर घरो को लौटे है

वहा तों  जश्न हो रहा होगा शायद  .

उधर वो जो ख़ाली उदास बैठा है 

वो मेले में लुट गया होगा शायद

है मेला या दंगा हमारा भ्रम तों नहीं

घर नहीं कही ठहर गया होगा शायद

इससे अच्छा तों अपना  पनघट था

ओ फिसलने से डर गया होगा शायद

समंदर तों हमेशा ही इतना गहरा था

किनारे पर धोखा हुआ होगा शायद|

सीख लिया समंदर की सवारी करना

कहा पहुंचोगे ना सोचा होगा शायद .

अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है

अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है 
मन इतना परेशांन सा क्यो  है 
न कोई बात है,न कोई भाव ही 
दर्द इतना मेहरबान सा क्यो है | 

दर्द मन में,दिमाग में,लहू में भी 
दर्द तन में,दिल औ वजूद में भी 
दर्द साँस ,धड़कन औ रूह में भी 
ये दर्द हुआ आसमान सा क्यूं है |

शनिवार, 6 जुलाई 2024

ये दिल्ली ने कहा है

ये दिल्ली ने कहा है 
की 
कलम को तोड़ दे सब 
अगर कुछ सोचते है 
जो हमसे कुछ अलग है 
उस चिंतन को मोड़ दे सब
ये दिल्ली ने कहा है 
अब कोई कविता न लिखे 
लिख रहे है 
तो ऐसा वैसा न लिखे 
जो दिल्ली को नहीं
अच्छा लगेगा 
ये दिल्ली ने कहा है 
न कोई फिल्मे बनाये 
न ही कोई गीत गाये 
न नाटक ही दिखाए 
जो दिल्ली को न भाये 
ये दिल्ली ने कहा है 
सूरज पूरब से निकलता 
ये औरो ने कहा था 
सूरज अब पच्छिम से उगेगा  
भारत में रहेंगे तो 
पूरब को सब लोग अब 
पच्छिम कहेंगे   
ये दिल्ली ने कहा है 
बदलो से नहीं होती है बारिश
मेढक की शादी न हो
तो बारिश हो नहीं सकती 
सब मान लो सब शादी कराओ 
ये दिल्ली ने कहा है 
हमसे पहले कुछ नहीं था 
जो किया हमने किया है 
ये जमीन आसमान नदिया 
हवाए सब हमने दिया है 
ये दिल्ली ने कहा है  ।