जिनका कद छोटा है
वे पैर उचका कर मिलते है
वे नही सकते है कर्म से मुकाबला
वे भीतरघात करते है
वे अपनाते है सारे हथकंडे
और वे ही जीत जाते है
पर हारता मैं भी नही हूं
मेरे पास बची रहती है मेरी सच्चाई
मेरा आत्मसम्मान और मेरा जमीर
जो जीता नही जा सकता
खुश रहो तुम अपना सफर करो
पाप का और छल का
मैं भी खुश हूं अपनी अच्छी नीद से ,अपनी बेफिक्री से अपनी हालत से ।
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