तो लगा कि
जैसे बंद था अंधेरी कोठरी में अकेले
और
सूरज नहीं देखा था कब से
अचानक तुम सामने खडे थे
सूरज की रोशनी लिए
चांद की ठंडक लिए
तो दिल धक से रह गया
और लगा कि विश्वास न करे
और
खुद की सांस रोककर
खुद को एहसास करवाए
कि हम जिंदा है
और
तुम्हे अचानक देखा तो लगा
मैं बंद दरवाजे के पीछे
सांस रोक कर खड़ा हूं
और
तुम्हारी पदचाप सुन रहा हूं
जिसका इंतजार था कब से ।
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