इतिहास पढ कर क्या करोगे
भविश्य पढो
उसी मे हित है सबका
मानवता का
समाज का
और
देश तथा दुनिया का
इतिहास पढो
तो
केवल इसलिये
कि
किन कारणो से
मानवता को कष्ट हुआ
मानवता का नाश हुआ
बस वो नही होने देना है ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
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