पीठ पर बोझ टाँगे
वो भटकता है
सुबह से शाम तक
इस दरवाजे से
उस दरवाजे तक
लोगो की चीजे पहुचाते
डांट खाते
देर होने पर
अपना पैसा कटवाते
डांट खाता है
घर वालो की भी
देर हो जाने पर
और उस दिन का
घर का सामान नही लाने पर
और पैसा कट गया
किसी की शिकायत पर
ये भी बताने पर
सो जाता है
पेट मे डांट पचा कर
क्योकी
कल सुबह फिर निकलना है
कन्धे पर घर की
जिम्मेदारियो का बोझ लेकर ।
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