सोमवार, 30 मई 2011

खुशियाँ चूम और आसमान तेरा है

मै सोचता था आसमान मेरा है ,
पर यहाँ तो हर तरफ अँधेरा है |
ढूढो यही कही कोई सूरज होगा,
जो कहेगा देख ये तेरा सवेरा है |
इतने तारे जो आसमान में फैले,
पुकारते है सारा आसमान तेरा है |
जो थक गया  जरा सी चढ़ाई पर , 
अभी बहुत दूर आसमान तेरा है |
अँधेरे, उजाले दोनों ही जिंदगी है,
अँधेरा है तभी तो सुबह सवेरा है |
अधेरे को तू आने दे और जाने दे,
इरादे रख तो  रोज नया सवेरा है |
चढ़ जा इरादों की किसी पहाड़ी पर,
खुशियाँ चूम और आसमान तेरा है |
























शनिवार, 21 मई 2011

मै एक किनारा हूँ और मेरी खुशियाँ दूसरा ,

आप कभी नदी के किनारे किनारे चले है ,
प्रारंभ में भी दो किनारे और अंत तक भी,
जब तक नदी समां  नहीं जाती समुद्र में  ,
तब तक किनारे मिलने को बेताब ,बेसब्र  ,
पता नहीं समुद्र में विलीन हो जाने पर भी, 
किनारे मिल पाते है या दो तरफ ही जाते है  ,
मै एक किनारा हूँ और मेरी खुशियाँ दूसरा ,
किनारों जैसे कभी नहीं मिल पाएंगे ये भी  |