मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

दर्द भोगे हो साथ साथ

पिता हो ,माँ हो 
बेटा या बेटी 
पता नही कैसे 
समझ जाते है 
एक दूसरे का दर्द 
और 
अंदर अंदर छटपटाते है
एक दूसरे के लिए 
कोई पैथी नही पहचानती 
न कोई विज्ञान 
इस बेतार संदेश को 
गर 
दर्द में शामिल रहे हो 
कभी या ज्यादातर 
और 
दर्द भोगे हो साथ साथ 
मजबूत चट्टान बनकर 
एक दूसरे के लिए 
और 
जुड़े हो दिल और आत्मा से ।

सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

उफ्फ ये स्याह अंधेरा !

रातें 
कितनी स्याह होतीहै 
क्यो होती है 
इतनी स्याह रातें 
ज्यो ही सूरज 
पच्छिमी की खोह में 
डुबकी लगाता है 
पूरब से फैलने लगती है 
स्याह रात 
टिमटिमाते हुई 
रोशनियां भी 
जुगनू से ज्यादा 
कुछ नही होती 
कितनी भयानकता 
समेटे होती है स्याह रात 
जिंदगी गर्त हो जाती है 
धीरे धीरे इसके आगोश में 
और 
कितना अकेलापन 
तारी हो जाता है 
जिसमे जिंदगी 
सवाल बन जाती है 
इन सवालो का 
कोई जवाब नही होता 
खुद से ही बाते करना 
खुद को तसल्ली देना 
खुद के अकेलेपन से लड़ना 
और लड़ते लड़ते 
नीद के लिए लड़ना 
ताकि आंख बंद कर 
अनदेखा कर सके 
इस स्याह अंधेरे को 
और अकेलेपन को 
पर 
कितना स्याह है सब कुछ 
चलो आंखे बंद कर लेते है 
और 
सोच लेते है 
की 
अकेले नही है हम 
तमाम सूरज उग गए है 
हमारी जिंदगी में ।
उफ्फ ये स्याह अंधेरा !

रविवार, 16 अक्तूबर 2022

फिर सब होगा शांत

कुछ सवाल है 
जो अनुत्तरित है 
कुछ जवाब है 
जो खुद 
सवाल बन गए है 
सिलसिला टूटता ही नही 
न सवालो का न जवाबो का 
क्रिया और प्रतिक्रिया जारी है 
पर कही तो कोई दीवार होगी 
या 
होगा इस सफर का डेड एंड 
जो रोक देगा क्रिया को 
और प्रतिक्रिया को भी 
और 
फिर सब होगा शांत शांत ।