सोमवार, 31 अगस्त 2015

कितने जतन करते हैं लोग बुलाने के लिए
कौन आता है फिर लौट कर जाने के लिए ।

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

बस इतना बयांन देकर उसने ख़ुदकुशी कर ली
कहते बड़ी जाति पर भूखा बीमार बेरोजगार हूँ |
बस इतना बयांन देकर उसने ख़ुदकुशी कर ली
हाँ मैं बड़ी जाति हूँ पर भूखा बीमार बेरोजगार हूँ |

बुधवार, 19 अगस्त 2015

कुर्सी और पेड़

क्यों इतना अंतर होता है
कुर्सी और पेड़ में ?
जबकि कुर्सियां भी
पेड़ो से ही बनती है
पेड़ देते है छाया
और कुर्सी देती है ताप
पेड़ देते है हरियाली
और कुर्सी नखलिस्तान
पेड़ देता है साँस लेने को वायु
और कुर्सी दमखोट देती है
पेड़ देता है फल
और कुर्सी सबका सब खा जाती है
पेड़ देता है सुखद एहसास
और कुर्सी केवल दुःख ही दुःख
क्यों इतना अंतर होता है
पेड़ में और कुर्सी में
जबकि कुर्सियां भी
पेड़ से ही बनती है
शायद कभी कोई शोध हो
और कारण पता लगे
और ये अंतर मिट जाये
कुर्सी और पेड़ का ।

रविवार, 9 अगस्त 2015

एक शख्स हरदम मेरे साथ रहता है

एक शख्स है जो हरदम मेरे ही साथ रहता है
गलत होता मुझसे कुछ तो वो जरूर कहता है
उसे दरगुज़र कर मैं ही अपनी मस्ती में रहता हूँ
अंदर वो मरता रहता है और सब कुछ सहता है।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2015