बुधवार, 21 सितंबर 2022

तुम कुर्सी हो मुझे मालूम है तुम्हारे पांव नहीं

इतनी दूर क्यों हो तुम कभी मिल जाया करो 
न हकीकत में तो सपने में ही आ जाया करो 
तुम कुर्सी हो मुझे मालूम है तुम्हारे पांव नहीं 
मेरे तक आने को कोई तो दाव लगाया करो |

रविवार, 18 सितंबर 2022

बाते बस बाते बनाये जा रहे है

बाते बस बाते बनाये जा रहे है
मुल्क को बस सताए जा रहे है

जहन्नुम कर दिया चंद दिन में 
फिर भी मुस्कराये   जा रहे है

वादे क्या किये थे तब सभी से
पर अब किस्से सुनाये जा रहे है

कोविड कभी डेंगू से मर गये है 
और ये भाषण सुनाये जा रहे है
 
लाखो मजदूर निकले थे घरो से 
उन पर डंडा बजाये जा रहे है
 
चेहरे पर शिकन नहीं है जरा भी
मौत के कारण गिनाये जा रहे है

गांधी को रोशनी दुनिया ने माना
ये गोडसे को चमकाए जा रहे है ।

गुरुवार, 15 सितंबर 2022

रौशनी से मन बहलाने वाला हूँ |

वो देखो न दूर किस कदर वो सूरज चमकता है 
मैं तुमको छोड़कर सूरज के साथ जाने वाला हूँ 
मत कहना की मैंने भी तो धोखा दे दिया तुमकों 
मैं भी अँधेरा छोड़ रौशनी से मन बहलाने वाला हूँ |