बुधवार, 21 सितंबर 2022

तुम कुर्सी हो मुझे मालूम है तुम्हारे पांव नहीं

इतनी दूर क्यों हो तुम कभी मिल जाया करो 
न हकीकत में तो सपने में ही आ जाया करो 
तुम कुर्सी हो मुझे मालूम है तुम्हारे पांव नहीं 
मेरे तक आने को कोई तो दाव लगाया करो |

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