गुरुवार, 30 जनवरी 2020

सोमवार, 27 जनवरी 2020

वो हमको मंजूर नही

गांधी पर गोली चलवाया वो हमको मंजूर नही 
देशभक्तो की मुखबिरी की और उनको जेल भिजवाय वो हमको मंजूर नही 
अंगेजो से माफी मांगी 
अंग्रेजो से पेंशन खाया वो हमको मंजूर नही 
आज़ादी मंजूर न जिनको वो हमको मंजूर नही 
देश का संविधान था फाड़ा 
और देश का झन्डा जलाया वो हमको मंजूर नही 
सालो झन्डा ना फहराया वो हमको मंजूर नही 
गाय के नाम पे था मरवाया वो हमको मंजूर नही 
राम के नाम पे दंगा कराया वो हमको मंजूर नही 
आग लगायी घर जलवाया वो हमको मंजूर नही 
तलवारो पर बच्चे उछाले कांच पर बहनो को नचवाया वो हमको मंजूर नही 
श्रीराम का नारा लगाकर बहनो के कपडे नुचवाया वो हमको मंजूर 
इज्जत लूटी और जलाया वो हमको मंजूर नही 
संविधान को नही मानता वो हमको मंजूर नही 
लोकतंत्र को नही जानता वो हमको मंजूर नही 
बेटे बेटी को पिटवाये वो हमको मंजूर नही 
रोटी छीने सब बिकवाये वो हमको मंजूर नही 
नफरत का करोबार फैलाये वो हमको मंजूर नही 
सीमा पर बेटे मरवाए वो हमको मंजूर 
दुश्मन के घर जाये बिना बुलाये वो हमको मंजूर नही 
बिरयानी खाए साड़ी पहुचाये वो हमको मंजूर 
फिर अपने बच्चे मरवाए वो हमको मंजूर नही 
अपनो पे इतने केस लगाये वो हमको मंजूर नही 
आओ मिलकर इन्हे भगाये ये हमको मंजूर 
आओ मिल आवाज लगाये ये हमको मंजूर नही 
फासीवाद से पिण्ड छुड़ाए ये हमको मंजूर नही ।

मंगलवार, 21 जनवरी 2020

संघर्षो का अन्त ।

सुना है कि 
कृष्ण ने 
द्रौपदी की साड़ी 
इतनी लम्बी कर दी 
कि 
उसका छोर ही नही था 
सुना है कि 
हनुमान की पूँछ का भी                       
कोई छोर नही था         
पर 
कही तो अन्त हुआ ही होगा 
उनका उस दिन नही 
तो अगले दिन 
लेकिन 
कुछ लोगो के संघर्षो का                              
कोई अन्त ही नही होता 
वो लड़ते रहते है 
बचपन से बुढापे तक 
और 
नितांत अकेले 
एक दिन थक कर सो जाते है 
चिरनिद्रा मे 
तभी होता है उनके                             
संघर्षो का अन्त ।

शनिवार, 18 जनवरी 2020

कुहरा

कितना भयानक
कुहरा हो जाता है 
अकसर आजकल 
कुछ भी नही दीखता
थोडा सा भी आगे 
पर 
ये कुहरा तो
इस मौसम मे होता है 
थोडे दिन 
मेरे जीवन मे तो 
पता नही कब से 
कुहरा है 
कुछ भी स्पष्ट नही 
अगले पल का भी 
इस कुहरे से 
जीवन का कुहरा 
ज्यादा भयानक होता है 

शनिवार, 11 जनवरी 2020

जिन्दगी क्या है

जिन्दगी क्या है 
उनसे तो 
पूछ भी नही सकते 
जो भस्म हो गये 
जब चलती बस 
बन गयी आग का गोला 
पैर थे 
पर भाग नही पाये 
हाथ थे 
पर 
आग बुझा नही पाये
हा 
उनसे पूछ सकते है 
जो 
कूदने मे कामयाब हो गये 
या 
उनसे जो तमाशबीन थे 
और 
मदद नही कर पाये 
तो वीडियो बनाने लगे 
कि 
बता सके 
कि 
जिन्दगी क्या है ।