शनिवार, 29 अप्रैल 2023

दर्द है कि जाता ही नही है

दर्द है 
कि जाता ही नही है
न मन का न तन का 
न अपनी जलन का 
न अपनी लगन का 
न अपने कहन का 
न उनके सुनन का 
न उनके कहन का 
न अपने सुनन का 
न दिल की व्यथा का 
न अपनी कथा का 
न यादो का अपने 
न वादो का अपने 
इरादो का अपने 
दवा भी नही है 
दुवा भी नही है 
ये किससे बताये 
किसे हम सुनाये 
आँसू छुपाये 
या हिचकी दबाए 
कटी जीभ अपनी 
निकलता जो खू है 
ये कैसे छुपाये 
न आहो मे कोई 
न चाहो मे कोई 
निगाहो मे कोई 
न राहो मे कोई 
ये गम हम दबाए 
कहा तक अब जाये 
ये दर्द जो है खू मे 
कतरे कतरे लहू मे 
है चमड़ी के अंदर 
औ चमड़ी के बाहर 
ये जाता नही है ।

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

गर मैं डूब जाऊंगा कभी मयखाने मेहै कोई हाथ जो आये मुझे बचाने मे ।

गर मैं डूब जाऊंगा कभी मयखाने मे
है कोई हाथ जो आये मुझे बचाने मे ।

तुम्हारे पास कुछ मेरा भी है

ये ये देखो गिर नहीं जाना 
तुम्हारे पास कुछ मेरा भी है 
वो भी तो टूट जायेगा 
या वही छूट जायेगा ।

सोचता हूँ कि कई कहानियां लिखू डरता हूँ लोग तुम्हारी तरफ देखेंगे ।

सोचता हूँ कि कई कहानियां लिखू 
डरता हूँ लोग तुम्हारी तरफ देखेंगे ।

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

हाँ तो हा, ना तो ना ।

आये दिन ये जो
हुक्मनामे फेंके जा रहे है 
आप के वजूद पर
आप के चिन्तन पर  
ताकि 
सीख जाओ आप 
तानाशाही मे जीना 
अंधे और मूर्खतापूर्ण
आदेशो को मानना 
और 
जब जब आका कहे 
घरो मे कैद रहना 
शायद खिड़किया भी
सील हो जाये एक दिन
और दरवाजे भी 
आका के बटन दबाने से
ही खुले सब 
दिमाग मत चलाओ 
जुबान मत हिलाओ 
पर सर हिलाओ 
जैसे आका कहे 
हाँ तो हा, ना तो ना ।

हुक्म है कि हुक्म पर चलते रहो ।

हमारा हुक्म है कि 

घर से निकलना मना है 

कोरोना काट लेगा 

हुक्म है 

खिडकी दरवाजे बन्द रखो 

हुक्म की आज निकलो ,

यहा निकलो , वहा निकलो 

रैली हमारी , भाषण हमारा 

कोरोना से मुक्त है ये 

मगर बाकी जगह 

मुह भी खोला तो जेल होगी 

सूइयां सबके लगेगी 

फिर चाहे मरो चाहे जियो 

ये भगवान जाने 

पर कोरोना 

भगवान के बस का नही है 

उसका इलाज तो 

बस पुलिस के पास है 

खबरदार 

जो बाकी जगह बाहर भी निकले ।

हुक्म है कि हुक्मनामा पढते रहो 

हुक्म है कि हुक्म पर चलते रहो ।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

अभिशप्त

अभिशप्त आत्माएं 
अभिशप्त वजूद 
अभिशप्त वादे 
अभिशप्त इरादे 
अभिशप्त इच्छाये 
अभिशप्त भविष्य
अभिशप्त रिश्ते
अभिशप्त भावनाए 
सपोले ही चहुँ ओर
आस्तीन कैसे बचाए
अभिशप्त सब कुछ 
ये सब 
जाकर किसे दिखाये ।

आप का वहम ही ईश्वर है ।

किसी ने पूछा 
ईश्वर क्या है ?
मेरा जवाब है 
की 
आप खुद है ईश्वर 
नही तो 
आप का वहम ही ईश्वर है ।

गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

अज्ञात से युद्ध ?



अज्ञात से युद्ध  ?

बम,मिसाइल ,गोलियां ,गोले 
और 
संगीन किसी को नहीं पहचानती है 
क्योंकि उनके दिल नही होता 
उनके दिमाग नही होता 
वो खुद से कुछ नही करती 
कोई और चलाता है इन्हे 
ये गुलाम है किसी दिमाग के 
ये गुलाम है किसी उंगली के 
पर इंसान चाहे किसी देश का हो 
चाहे कोई भाषा बोलता हो 
और 
चाहे जिस बिल्ले वाली वर्दी पहने हो 
उसके तो आंखे होती है 
दिल और दिमाग भी होता है 
फिर कैसे कहर बन टूट पड़ता है
दूसरे इंसान पर 
जिसे खुद जानता भी नहीं 
जिससे उसकी दुश्मनी भी नही ?
फिर कैसे चलनी कर देता है उसे 
कैसे घोप देता है संगीन 
या उड़ा देता है बम से
बिना विचलित हुए 
क्या नही दिखता सामने उसे 
अपना भाई या बेटा 
नही कर पाता है कल्पना 
एक उजड़े घर की 
एक विधवा पत्नी , टूटे मां बाप
और अनाथ बच्चों की
चाहे सामने वालो के हो 
या ख़ुद के 
कैसे इतना बेदर्द और क्रूर हो जाता है 
कोई भी हाड़ मांस का जीवित इंसान ? 
युद्ध में कोई नहीं जीतता 
सब केवल हारते है 
और बर्बाद हो जाते है मुल्क 
उससे ज्यादा इंसानियत
युद्ध जमीन पर नही 
औरत की  देह 
और 
बच्चो के जीवन पर लड़ा जाता है 
और अंत में खत्म हो जाता है युद्ध 
एक मेज पर चाय के साथ वार्ता से 
तो पहले ही क्यों न 
रख दी जाए ये मेज और चाय 
इंसान की मौत और युद्ध के बीच में ।
आइए मेज पर बात करे हर दिन हर वक्त ।

ऐसा क्यो होता है अक्सर

ऐसा क्यो होता है अक्सर
कि 
जिस जमीन पर आप 
बुनियाद बनाना चाहते है 
वही दलदल निकल आती है 
और 
धंस जाता है खुद का वजूद 
जिस पेड़ को मजबूत समझ 
छप्पर का आधार बनाना चाहते है 
वही इतना कमजोर निकल जाता है 
कि 
तनिक सा बोझ पडते ही 
लचक जाता है 
और 
सब कुछ जमीदोज हो जाता है 
पहाडी पर चढ़ते वक्त 
पहला ही पत्थर 
कमजोर निकल जाता है 
और 
पहले ही कदम पर घायल कर 
चढाई छोड़ने को मजबूर कर देता है ।
खैर 
हिम्मत तब भी नही हारते लोग 
और 
जारी रखते है खोज 
एक मजबूत ,पुख्ता जमीन की 
पूरी तरह लम्बे समय तक 
मजबूती से खड़े रहने वाले पेड़ की 
और 
पहाडी पर घायल होकर भी 
अन्तिम चोटी तक पहुचने के 
सही मार्ग की ।