सब कुछ ठीक ठाक है
हालचाल ठीक ठाक है
थोड़े बलात्कार है
थोड़ी सी लूट है
कुछ भी जला दो
सबको ही छूट है
थोड़ा सा दंगा है
कानून नंगा है
बाकी सब ठीक ठाक है
हाल चाल ठीक ठाक है
( बाकी कल )
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है