एक दिन
आसमान बहेगा
जमीन पर
समुद्र उड़ेगा
आसमान पर
पहाड नाचेगा
पत्तो पर
पेड उगेगे
आसमान पर
चिडिया खायेगी
हाथियो को
चीटियो के डर से
शेर भालू भागेगे
बस केवल इंसान
कही नही होगा
वो दिन हँ वो दिन
हमारे कारण आएगा ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है