रविवार, 27 अगस्त 2023

जिंदाबाद बोल |

कोई सवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल 
कोई बवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल 
पेट  रख दे किसी सिद्धांत की किताब में तू 
भूख ,ख्याल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल |

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

हां जीवन इसको कहते है |

मेरी कविता -

जिंदगी 

कब होगी पहचान हमारी 

इतने सालो से है दूरी 

क्या मजबूरी 

जिन्दा तो है 

पर क्या सचमुच 

क्या जीवन इसको कहते है 

पांव में छाले भाव में थिरकन

गले में हिचकी आँख में आंसू  

नीद नहीं और पेट में हलचल 

ना पीछे कुछ ,ना आगे कुछ 

बस अन्धकार है 

क्या जीवन इसको कहते है 

जीवन कब हमको मिलना है 

या फिर ऐसे ही विदा करोगे 

कुछ तो सोचो 

हम दोनों क्या जुदा जुदा है 

कुछ तो बोलो 

और भविष्य के ही पट खोलो 

या फिर कह दो 

हां जीवन इसको ही कहते है | 

जींना है तो हंस कर जी लो 

या फिर दर्द गरल को पी लो 

तेरे हिस्से में बस ये है 

मैं भी तो मजबूर बहुत हूँ 

तेरी खुशियों से दूर बहुत हूँ 

चल अब सो जा 

अच्छे सपनो में आज तो खो जा 

कल फिर मुझसे ही लड़ना है 

हां जीवन इसको कहते है |

बुधवार, 9 अगस्त 2023

अजी सुनते हो 
देश है अपना महान ,कही नहीं इतना ज्ञान 
इसमें अपनी जान जी हां अपना हिन्दुस्तान
करवाता हूँ मैं पहचान ,अजी सुनते हो ।

सबने मिलकर नेता बनाया वो हो गए महान 
कुर्सी तक सबने पहुचाया चढ़ गए सीना तान 
सबको बौना कर के अपनी कुर्सी किया मचान 
अजी सुनते हो ।

मंगलवार, 8 अगस्त 2023

क्या बदल गया कुर्सियों में

मेरी ये कविता पढिये -----

पहले 
काठ से कुर्सियां बनती थी 
आज भी 
काठ से भी बनती है कुर्सियां 
पहले भी आदमी होते थे 
और 
आज भी आदमी होते है 
पहले भी आदमी ही 
कुर्सी पर बैठते थे 
और 
कभी कभी कुत्ते भी
आज भी कुर्सी पर 
आदमी ही बैठते है 
और 
कुत्ते भी कभी कभी 
पर 
पहले 
कुर्सियों पर बैठकर भी 
आदमी आदमी ही रहता था 
और कुत्ता कुत्ता ही 
पर अब कुर्सियों पर बैठकर 
आदमी खुद काठ बन गया है 
पर कुत्ते तो कुत्ते ही रह गए ।
क्या बदल गया कुर्सियों में 
या आदमी में 
खोज होनी ही चाहिए 
और ये भी 
की 
पहले काठ खत्म हों जाएगा 
या आदमी या फिर कुर्सियां ?

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

जिसके भी सामने झुका ये सर

जिसके भी सामने 
झुका ये सर 
वो बस वो ही 
जानता है 
अपना घाव और पीड़ा 
संसद के सामने 
लेटा था कोई 
तब से 
संसद ,उसकी परम्पराएं 
सिसक रही है
सुना है कि 
टूटने वाली है 
वह भव्य संसद 
जिसने देखा है
भारत की आज़ादी का
उगता सूरज
और सारा इतिहास 
अब 
फिर लेट गया कोई 
भारत की आस्था 
और 
विश्वास के सामने ?