मंगलवार, 8 अगस्त 2023

क्या बदल गया कुर्सियों में

मेरी ये कविता पढिये -----

पहले 
काठ से कुर्सियां बनती थी 
आज भी 
काठ से भी बनती है कुर्सियां 
पहले भी आदमी होते थे 
और 
आज भी आदमी होते है 
पहले भी आदमी ही 
कुर्सी पर बैठते थे 
और 
कभी कभी कुत्ते भी
आज भी कुर्सी पर 
आदमी ही बैठते है 
और 
कुत्ते भी कभी कभी 
पर 
पहले 
कुर्सियों पर बैठकर भी 
आदमी आदमी ही रहता था 
और कुत्ता कुत्ता ही 
पर अब कुर्सियों पर बैठकर 
आदमी खुद काठ बन गया है 
पर कुत्ते तो कुत्ते ही रह गए ।
क्या बदल गया कुर्सियों में 
या आदमी में 
खोज होनी ही चाहिए 
और ये भी 
की 
पहले काठ खत्म हों जाएगा 
या आदमी या फिर कुर्सियां ?

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