मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

वो रौंदी गयी बार बार

वो रोयीं थी जब उसको
रौंदा गया था बार बार
उसे लगा की कोई तो होगा
इनमे से, जो बाप या भाई होगा
और, बचा लेगा उसे इस रिश्ते से
पर भाई ही, कसाई हो चुका था 
जो नहीं हुए, वो तमाशबीन थे
वो रौंदी गयी बार बार
जो रौंद रहे थे
थोड़ी देर बाद वही, किसी को
बहन कह कर पुकारेगे
किसी को, माँ कह कर लिपटेगे
किसी को, बेटी कह कर गोद में उठाएगे
और तब, भूल जायेगे की थोड़ी देर पहले
उसने एक माँ ,बेटी और बहन को रौंदा था
आज ही वह किसी मंदिर जायेगा
की उसे इस गुनाह की सजा से बचा लो
माँ ,देवी माँ 
और भूल जायेगा की, थोड़ी देर पहले उसने
इन्ही देवी माँ की अस्मिता को गाली दिया है
क्यों भूल जाते है लोग, आखिर क्यों
क्यों हर पल कोई बेटी बहन या माँ
रौंदी जाती है, अपनों द्वारा ही
क्या कोई कृष्ण नहीं देख रहा इसे
जिसने केवल साड़ी खींचने पर
भारत को, महाभारत दे दिया
क्या कोई राम नहीं है शेष जिसने
सोने की लंका को खाक कर दिया
नहीं ,तो फिर ये मेरा महान भारत नहीं
कही खो गया मेरा वो महान भारत
जवाब कौन देगा ,हिसाब कौन देगा 



गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

मैंने कसम खाई सच पर चलते जाने की

मैंने कसम खाई सच पर चलते जाने की 
लोगो की भी जिद है बस मुझे मिटाने की
चाहे कितनी ताकत हो या आंधियां चले
मेरी जिद फिर भी एक दिया जलाने की ।