शनिवार, 27 मार्च 2021

दोस्त बिला जाते है

हमारे कुछ दोस्त होते है जो बिला जाते है 
जब जब जिंदगी मुश्किलो मे आती है ।

और 

जरा सी जिंदगी मे रौनक तो आने दो 
दोस्तो से मेरा घर भी भर जाएगा  ।

मीठा होता तो आंखे भी इसको पी गयी होती ।

आंखो से निकलता है वो खारा जल होता है 
क्या खारे जल से कोई आंखो को धोता है 

खारा था तो निकल गया कोई खास बात नही 
मीठा होता तो आंखे भी इसको पी गयी होती ।

इन्सान हो तो उट्ठो

चलो हँसते है 
अपनी बेबसी पर 
किसी की सिसकियो पर 
चलो हसते है 
किसी की मौत पर 
किसी की बर्बादियो पर 
चलो हसते है 
उस बेटी की लूटी आबरू  पर 
उस माँ के गये सहारे पर 
चलो हँसते है 
उस बेवा के रूदन पर 
बहन की सूनी कलाई पर 
चली हसते है 
पथराई आंखो पर पिता की 
बच्चों के अंधरे मुस्तकबिल पर 
क्योकी हंसना ही जिंदगी है ।
यही गर फ़लसफ़ा है जिंदगी का 
तो ऐसे फलसफे को गर्त कर दो 
उठ सको तो उठो 
चल सको तो चलो 
वर्ना बस हुंकार भरो 
हर बेबसी और हर रूदन पर 
हर जुल्म पर जो ढाये जा रहे हो 
और 
हर कफन पर 
जो यूँ ही पहनाए जा रहे है ।
अगर इन्सान हो तो उट्ठो 
हर गली से हर खेत 
और खलिहान से उट्ठो 
और चल पडो 
जुल्म खुद ब खुद मिट जायेगा
अंधेरा खुद ब खुद छट जायेगा 
सूरज खुद ही मुस्करायेगा ।
(अभी बन गयी कविता ) किसी का भी संशोधन मान्य ।

गोलिया पैरो मे लगने लगी है

बन्दूके भी अब खुद को छलने लगी है 
गोलिया अब पैरो मे लगने लगी है ।
वो बदमाश गायब था लापता था 
इनाम बढते ही शिनाख्त मिलने लगी है 
इनाम इकराम मिला जान बची दोनो खुश 
ये रिश्तों की गर्मी  पिघलने लगी है । 

शनिवार, 20 मार्च 2021

डरा दो सबको

किसी भी तरह से 
सबको डराओ 
क्योकी 
जो नही डरते 
वो सत्ता के लिए 
खतरा बन जाते है 
और 
डरे हुये लोग 
गुलामी मान लेते है 
बस यूँ ही 
इसलिये ऐसे या वैसे 
कैसे भी 
आवाम को डराओ 
उन्हे जीता जागता 
इन्सान मत रहने दो 
उन्हे 
हांके पर चलने वाली 
भेडे बनाओ 
और फिर जैसा चाहो
वैसा राज चलाओ ।