मंगलवार, 25 जून 2019

राम तुम मत आना

राम तुम मत आना

उन्होने कहा
जय श्रीराम बोल
वो बोला
जय श्रीराम
उन्होने कहा
हनुमान की जय बोल
वो बोला
हनुमान की जय
वो जो कहते रहे
वो बोलता रहा
वो बोलता रहा
जय श्रीराम
और
हनुमान की जय
और
राम के भक्त
उसे
लगातार पीटते रहे
जब तक
वो बोलता रहा
कितना दर्द हुआ होगा न
जब
इतने लोगो ने
इतने घंटो तक
मारा होगा उसे
क्या दर्द का
बिल्कुल भी एहसास
नही हुआ होगा
उन लोगो को
जो खुद को
हिन्दू कहते है
क्या सचमुच
ये लोग हिन्दू है
हिन्दू तो चींटी को
बचा कर चलता है
की
कही मर न जाये
ये कौन से हिन्दू है
अब वो अब
सांस ही नही ले रहा था
तो
उन्होने भी
बोलना बन्द कर दिया
जय श्रीराम
और
हनुमान की जय
वो तो
बोलने लायक ही नही बचा था
भाग खड़े हुये
राम का नाम लेकर
वध करने वाले
हा वध शब्द का ही
प्रयोग किया था
गांधी को मारने वालो ने
और
गोली खाकर
गांधी ने भी तो कहा था
हे राम हे राम
नही
ये अब हे राम नही
बल्कि
जय श्रीराम बोलते है
ताकी कही गांधी के
अनुयायी न कहलाये
पर
वो तो
भाग ही नही पाया 
बिन बुलायी मौत से
जो
उस राम के नाम से आई
जिसने
अधर्म को खत्म किया
धर्म के लिए
पर धर्म के नाम पर भी
कभी अधर्म होगा
कहा सोचा होगा
राम ने
जीते राज
उन्होने युद्द मे
पर
दे दिये
वही के लोगो को
राज पाने के लिए
उनके नाम का उपयोग होगा
कहा सोचा होगा
राम ने
अब उसकी विधवा
जो अभी
जल्दी ही
ब्याही गयी थी
अहिल्या की तरह
पत्थर बन गयी है
की
कौन होगा
अब सहारा
किसके साथ बीतेगा जीवन
कितना चीखी होगी वो
उसकी बेजान लाश देखकर
कई बार तो
बेहोश हो गयी होगी
फिर पानी डाल कर
उठाया गया होगा उसे
वो फिर पछाड़ मार मार
गिर जाती होगी
क्या
उसे मारने वालो ने
ऐसे दृश्य नही देखा होगा
अपने घरो पर
और
नही देखा होगा
विधवा हुयी किसी
बहन और बेटी को
अचानक
और बूढे हो गये मा बाप को
बेसहारा हो गये
अबोध बच्चो को
क्या नही आते वो दृश्य
कभी
इन लोगो की आंखो मे
राम को भी तो
बाँट दिया इन लोगो ने
जो
उसके खाने मे
आते ही नही
कि
उम्मीद करे की
इस युग मे भी
आयेंगे राम
और
उद्धार कर देंगे
उसकी बुत बन गयी
विधवा का ।
वैसे भी राम
अब आते ही कहा है
चाहे
कितना भी अधर्म हो
पर
अब तो राम
खुद ही खतरे मे है
क्या पता
कि
वो पढाये पाठ
सही और गलत का
धर्म और अधर्म का
और
उनका नाम लेने वाले
उन्हे ही राम विरोधी
और
राष्ट्र विरोधी बता दे
और
जय श्रीराम का नारा लगाती हुयी भीड
राम का ही बध कर दे
इसलिये राम
तुम बिल्कुल मत आना
अपने भक्तो वाले
इस देश मे
और इस युग मे ।

मंगलवार, 18 जून 2019

सो जाने दो इस व्यवस्था की तरह ।

चलो अब बंद करता हूँ
खिड़कियाँ
कमरे की
और
मन की भी
चिंतन की
और
आँखों की भी
बुझा देता हूँ रौशनी
ताकि
छा जाये अँधेरा
अंदर भी और बाहर भी
क्योकि
अँधेरा हमें सुकून देता है
और
हर चीज से
आँख बंद कर लेने का बहाना
सो जाता हूँ मैं भी
सोने दो लोगो को भूखे पेट
या फुटपाथ के थपेड़ों
और
बारिश में
लगने दो आग
किसी की आबरू में
लूटने दो इज्जत
या असबाब
मुझे क्या
मैंने तो गर्त कर लिया है
खुद को अँधेरे में
और
बंद कर ली है खिड़कियाँ
ताकि
कोई चीख सुनाई न पड़े
और
न दिखाई दे
बाहर के अँधेरे
मेरे अंदर के अँधेरे
अब
मेरे साथी बन गए है न
चलो मुझे गहरी नीद
सो जाने दो
इस व्यवस्था की तरह ।

रविवार, 16 जून 2019

बेटियाँ

घर से जाते जाते भी 
पापा की 
कितनी चिंता करती है
बेटियाँ 
की 
क्या कहा रखा है ,
क्या क्या
कैसे कैसे
कर लीजियेगा ,
क्या खा लीजियेगा
इत्यादि इत्यादि ।
मन और आंखे
भिगो देती है बेटियाँ
और
खुद पर
पता नही कैसे
काबू रख पाती है
बेटियाँ
या फिर
आंखे छुपा लेती है
बेटियाँ ।