सो जाओ इस व्यवस्था की तरह:
चलो अब बंद करता हूँ
खिड़कियाँ कमरे की
और मन की भी चिंतन की
और आँखों की भी
बुझा देता हूँ रौशनी
ताकि छा जाये अँधेरा
अंदर भी और बाहर भी
क्योकि
अँधेरा हमें सुकून देता है
और हर चीज से
आँख बंद कर लेने का बहाना
सो जाता हूँ मैं भी
सोने दो लोगो को भूखे पेट
या फुटपाथ के थपेड़ों
और बारिश में
लगने दो आग किसी की आबरू में
लूटने दो इज्जत या असबाब
मुझे क्या मैंने तो गर्त कर लिया है
खुद को अँधेरे में
और बंद कर ली है खिड़कियाँ
ताकि कोई चीख सुनाई न पड़े
और न दिखाई दे बाहर के अँधेरे
मेरे अंदर के अँधेरे
अब मेरे साथी बन गए है न
चलो मुझे गहरी नीद सो जाने दो
इस व्यवस्था की तरह ।