शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

खजुराहो की मूर्तिया बोलती है

ये खुदी मूर्तियाँ पत्थर की इनकी अपनी अलग कहानी
रह जाती है याद सभी को ये सब सदा सदा को जुबानी 
ये बाज रहे है कुछ बाजे और नाच रहा है कोई
कुछ रंग राग सा जमा हुआ   इस महफ़िल में
प्रेम नगर की महफ़िल में पलके है जागी सोई 
कुछ उबलता अरमान यहाँ दीखता हर दिल में
आतुर दीखते है सब छोड़ने को दिल पर कोई निशानी
ये खुदी ----------------------------------------------
ये प्रथम दृश्य इंकार भरा पर ये है मनुहार भरा
ये शर्म को प्रकट किये और इसमे है  प्यार भरा
और ये देखो कैसी इनसे  अठखेलियाँ फूट रही
इसमें गति कुछ रुकी जैसे है थोडा इकरार भरा 
ये बंकिम चितवन कतिपातन कहता है स्वयं कहानी
ये खुदी ---------------------------------------------
अब ये देखो कुछ और निकटता बढ़ती है
हाथो से थामा गोल और नर्म कलाई को
उठते गिरते क्षण सीने के क्या कहते है
प्यासे नयनो से देख रहा  अंगड़ाई  को 
थरथराते अधरों पर अधरों को रखने को मस्त जवानी
ये खुदी ------------------------------------------------
ये निगाहे प्यासी आकुल हो  होकर उठती है
धड़कन बढ़ गयी जब बाहें कटी को कसती है 
स्वास तेज कैसा चेहरा अधरों पर रखे अधर
गति में है दोनों  ये है स्वर्गीय सुख का असर
और अब बाहें हो गयी शिथिल क्या कर डाली मनमानी 
जीवित लगती फूट रही इन मूर्तियों से मदमस्त जवानी
ये खुदी मूर्तियाँ पत्थर और इनकी अपनी अलग कहानी
खजुराहो से जाते  है  सब  मन  में भर कर नयी   रवानी

सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

दीपो का त्यौहार आ गया, दीप जलेंगे

दीपो का त्यौहार आ गया ,
दीप  जलेंगे
कही मोम के,कुछ मिट्टी के ,
दीप जलेंगे ,सदा जले है ,
फिर जलने है,
दीपो का त्यौहार जो आया,
बालक बच्चे इंतजार में,
उनकी खातिर खुशिया लाया,
मिठाई ,खील बतासे खायेंगे वे,
दीप जलेंगे ,
बम फुलझड़िया खूब दगेंगी,
पर मिट्टी का दीपक कुछ उदास है,
हंस रही है चीन से आई ही सब चीजे,
जिसके लिए अफीम धर्म था,
उसी चीन से बन कर आये ,
सभी देवता है बाजार में,
भारत के दिए और और देवता,
बस बैठे है इंतजार में,
कोई तों ले लो,आखिर वे अपने है,
कुछ अपनों का पेट भरेगा
देखो वो गरीब का बच्चा,
टुकुर टुकुर ताक रहा है सब चीजो को,
उसका पिता हिसाब लगाकर ,
खील,बतासे,एक फुलझड़ी ले लेता है
ये कह कर की हम चालाक है 
औरो को खर्चा करने दो
हम मुफ्त में मजे करेंगे,
सुबह सुबह जल्दी जग उसका बेटा बीनेगा,
बची मोमबत्तियां और पटाखे,
अगले दिन वो उनको फोड़ेगा,
जहा काम करती उसकी माँ,
वहा से आई आज मिठाई,
मन रही इस घर में आज दीवाली,
दीवाली आई और ख़त्म हो गयी,
अब लगता है की कल क्या बदला था ,
हम दुनिया कि बुराइयों से,
लड़ने की कसम खाये तों कैसा हो,
तब दीवाली मनाये तों कैसा हो,
दीवाली मनाये,सीमा से कोई लाश नही आई,
इस साल किसी ने अपनी बहू नही जलाई,
जब कोई रात न होगी काली, तब होगी असली दीवाली |

गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

कभी हरी दूब पर पड़ी ओस की बूँद देखा है

कभी हरी दूब पर, पड़ी ओस की बूंदों देखा है ,
नही देखा ,तों छोटे छोटे बच्चो को देखो,
देखा है कमल या गुलाब के फूल की मुस्कराहट,
नही देखा तों छोटे छोटे बच्चो को देखो,
वर्षा की पहली बूँद को सीप में मोती बनते देखा है,
नही देखा तों अपनी नन्ही सी बेटी को देखो,
जानते हो क्या होता है सच्चा और निश्छल प्यार,
बच्चो की तरफ प्यार से देखो जान जाओगे,
कभी देखा है जीवन से खुद बिना थके लड़ने की कला,
उठने की कोशिश करते ,गिरते और उठते बच्चो को देखो,
कभी सोचा घर बनाने की कल्पना कहा से आई होगी,
माँ की सदी से घर बनाते और सजाते अपनी बेटी को देखो,
कभी प्यार के मोल और गहराई को जाना है,
अपनी शादी के बाद बिदा होती बेटी की आँखों में देखो,
सबसे बहुमूल्य चीज कैसे सम्हाली जाती है कभी जाना,
आंधी में किसी माँ को बच्चो को सीने में चिपकाते हुए देखो,
एक का दर्द दूसरे को कैसे और ज्यादा दर्द देता है कभी देखा है,
जब तुम बीमार हो और कराहते हो  तों बच्चो की आँख में देखो,
कभी किसी इन्सान को आधा कटा हुआ और बटा हुआ देखा है,
किसी ऐसे को देखो जिसका सचमुच का अपना आधा चला गया हो,
किसी ने कभी स्वर्ग से लौट कर बताया की कैसा होता है ,मत पूछो,
प्यार करने वाली पत्नी और बेटे बेटी वाला घर देखो, दिख जायेगा,
भगवान की बनाई सबसे अच्छी दवाई क्या है  जानते हो,
बच्चो को उठाओ सीने से चिपकाओ और पत्नी को देख कर मुस्कराओ,
जीवन का अर्थ अगर नही जानते हो और इसे व्यर्थ मानते हो,
तों बस इन सबको प्यार करो सचमुच में प्यार करो ,जीवन पा जाओगे,
कही कुछ मत खोजो सारी दुनिया की दौलत तुम्हारे पास है,
जान गए तों जोर से हंसो और उसे बाहर फेंक दो जो मन उदास है,
थक गए हो तों बेटी को देखो ,रुक गए हो तों बेटे को देखो,
दोनों तुम्हारी दो आँखे है ,बेटी धड़कन है तों बेटा हाथ है,
तुम तभी पूरे हो जब दोनों तुम्हारे घर में है, दोनों साथ है,
इसलिए एक कसम खाओ की बेटियों को नही मिटाने देंगे,
दोनों को दो हाथ की तरह समझेंगे दोनों में फर्क नही आने देंगे |

बेटियां ताज़ा हवा का झोंका है इन्हें आने दो

बेटियां ताज़ा हवा का झोंका है,
मारों मत इन्हें आने दो,
ये खुशबू है ,इन्हें अपने साथ
एक और घर महकाने दो |
बेटिया वो है जो मुस्कराती है
तों हजारो फूल खिलते है
बेटिया जब पैदा होती है
तों जिंदगी को मायने मिलते है |
बेटिया हर दर्द कि दवा है
खत्म ना हो जाये बचाए रखना,
बेटिया  दुःख में एक दुआ है
इनको मन में सजाये रखना |
दिन भर की तकलीफों के बाद
घर आने पर मरहम है बेटिया,
टूट रहे हो एक बार
इनकी तरफ देखो
तुम्हारा दम है बेटिया |
कितने भी थके हो
गोद में बैठा लो
देखो  अब थकान कहा है,
कितनी चोट बाहर लगी हो
बेटी बस छू दे
अब निशान कहा है |
बेटिया घर की मिठास है रौनक है ,
एक मीठा सा अहसास है,
दुनिया का दुःख दर्द भूल जाओगे,
गर बेटी आसपास है |
बेटिया कलाई में सजी राखी है
और माँ की ममता है बेटियां,
प्रेम का उपहार है तों
अर्द्धांगिनी बनने की
क्षमता है बेटिया |
बेटिया धान है एक क्यारी में उगती
दूसरी में रोपी जाती है,
ये फले एक संसार बनाये
इसलिए दूजे घर में सौपी जाती है |
तुम कैसे मार सकते हो इन्हें
 ये तुम्हारी क्यारी में अमानत है,
दूसरा खेत इंतजार कर रहा है
तुम्हारा प्यार बस जमानत है |
उसे गौर से देखो
अल्ट्रा साउंड मशीन में भी
वो मुस्करा रही है,
नही लगता तुम्हे की
हाथ उठाये प्यार से तुम्हे बुला रही है |
क्या तुम उसे अब भी मार सकते हो,
नही ना अब उसे दुलारों,
तुम्हारी गोद में आने का
इंतजार कर रही है
उसे पुकारो |
तुम ने उसे  पुँकारा देखो
वह माँ के पेट में भी मुस्करा रही है,
उसे सहलाओ देखो वो अपनी
ख़ुशी का अहसास करा रही है |
ये सब देख कर भी
तुम्हारा शैतान जिन्दा है
और उसे मारोगे,
जब दिल खुश होगा घर आओगे
बेटी कह कर किसे पुकारोगे |
बेटिया दिल की धड़कन है
आँख का आंसू और प्यार की पुकार है ,
दूसरे घर में भी दिल
तुम्हारे लिए धड़कता है
तुम्हारा ही संसार है |
इसलिए बेटियों को घर आने दो,
और इन्हें जी भर कर प्यार करो,
मिटाने की सोचो भी मत खुद मिट जाओगे
बेटियों को दुलार करो |