मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

जिन्दगी का ठहराव

कभी कभी जिंदगी में 
गहरा ठहराव क्यों आ जाता है 
कि 
सब कुछ ठहर जाता है
ठहर जाती है सांसे 
और 
शरीर भी ठहराव का शिकार हो जाता है
मन ठहर जाता है 
तो 
मस्तिष्क भी ठहरा हुआ होता है
पूरा का पूरा अस्तित्व ठहर जाता है 
और 
लगता है कि 
तकदीर भी ठहर गयी है 
और तदबीर भी । 
लगता है 
चौराहे पर खड़े है 
साँसे रोके हुए 
और 
चारो तरफ से 
शोर मचाती गाड़ियां चली जा रही है 
और 
समझ ही नहीं आ रहा 
कि किधर जाये । 
ज्यो ही किसी तरफ पैर बढ़ाते है 
कोई तेज रफ़्तार गाडी और उसका शोर 
वापस पैर खीच लेने को मजबूर कर देता है 
और ठिठक कर वही साँस बांधे 
खड़ा रहने को मजबूर कर देता है ।
आखिर क्यों ऐसा ठहराव आ जाता है 
जिंदगी में कभी कभी ।

रविवार, 24 दिसंबर 2023

आत्मा तो मत बेचो

#आत्मा_तो_मत_बेचो 

जमीन बेचो , पेड़ पौधे और प्रकृति बेचो ,
 मिट्टी बेचो , फल फूल बेचो , योग बेचो , 
मंदिर मस्जिद और ईश्वर बेचो 
पर आत्मा 
वो भी बेच रहे हो रोज 
और उसकी आवाज सुनाई नहीं पड़ती 
आत्मा नहीं बिकी तो सब बच जायेगा 
इंसान भी और इंसानियत भी ।
जरा सोचो और जरा आत्मा की सुनो ।

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

बस घिसट रहा हूँअपनी लाश लिए

मैं ढूंढ रहा हूँ खुद को

कुछ दिनों से 

पर भटक जाता हूँ

रास्ता तलाश करते करते

केवल अँधेरा हाथ आया है 

अब तक

अँधेरे में रास्ता नहीं दीखता

तो कैसे ढूंढ मैं खुद को

रास्ता तलाश करते करते

कितनी बार गिरा मैं

और कितनी बार टकराया हूँ

पता नहीं किस किस चीज से

सर फूट गया है टकरा कर

बह रहा है खून लगातार

केवल सर क्यों ,यहाँ तो

अंग अंग घायल हो गया है

और 

दिल तो छलनी हो गया है

मन और अस्तित्व 

विलीन हो गए है

कही अनंत में

और मैं ,

मैं हूँ ही कहा

मुझे तो ख़त्म कर दिया है

संघर्ष और क़िस्मत की जंग ने 

तो क्या ढूँढना खुद को

बस घिसट रहा हूँ

अपनी लाश लिए 

अब 

अपनी लाश के बोझ ने भी 

थका दिया है बुरी तरह

नहीं चल पाउँगा और 

अपने पैरो पर 

पर कोई कंधे भी तो नहीं

जिनका सहरा मिल जाये 

या 

जिनपर लद कर जाऊं मैं ।

गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

शरीर भी कितना बेईमान है

ये शरीर भी कितना बेईमान है 
पर खुद को समझता महान है 
पर कही भी सरेंडर कर जाता है
कही अकड़ता कही शिथिल पड़ जाता है 
मच्छर भी काट ले तो बाप रे बाप 
कांटा भी चुभ जाये तो हाय ही हाय 
जरा सा टूट जाये तो औकात बताता है 
इश्क मे कदमो मे लेट जाता है 
नफरत मे अपनी औकात बताता है 
कितनी बड़ी बड़ी बाते बनाता है 
दूसरो से डरता है अपनो को सताता है 
बड़ी से बड़ी डीँग हाकता है 
मौका पडने पर लुढक जाता है 
जी हा पर शरीर तो शरीर है 
कोई मन ,दिल दिमाग और आत्मा तो नही 
जो इसे जैसे चलाते है वैसे चल जाता है 
शरीर बस पुतला है जिसमे दिल है 
शरीर एक अस्तित्व है जिसमे दिमाग है 
शरीर को बस शरीर ही रहने दो 
इसे कम्प्यूटर और गड़ित मत बनाओ 
इसका अपने दिमाग से प्रयोग करो 
और कुछ बुरा हो जाये यो भूल जाओ 
चलो शरीर का भरपूर उपयोग करो 
इसका जितना हो सके प्रयोग करो 
तभी शरीर शरीर रहेगा दौडेगा खेलगा 
जी हा इसकी भाषा को समझो तो 
फिर ये खूब खूब और बहुत खूब बोलेगा ।
अपने शरीर को खूब प्यार करो 
दूसरे के शरीर से भी मत इंकार करो ।
क्योकी शरीर नितांत क्षणभंगुर है 
जल जायेगा 
फिर क्या पता कब 
आप की किस्मत मे वापस आयेगा ।

किस बात के नाते

आप दलगत राजनीति छोड़ दे 
दल वाले आप को छोड़ देते है 
आप राजनीति छोड़ दे
राजनीति वाले आप को छोड़ देते है 
आप नौकरी से बाहर तो
वहाँ के रिश्ते खत्म 
आप काम के न हो 
और 
बोझ बन जाये तो 
सारे रिश्ते खत्म 
जी हा 
रिश्ते भी व्यापार है 
पूरा कारोबार है 
मुनाफे के साथ रहते है 
और घाटा छोड़ 
मुनाफे की तरफ बहते है 
ये मच्छर की तरह है 
जो लैम्प पोस्ट जल जाये
सारे मच्छर उधर भाग जाते है 
आप का बुझ गया तो
किस बात के नाते है 
इसलिए चाहे जो करो
उपयोगी रहो 
कही से भी तेल लाओ या बिजली 
पर जलते रहो 
फिर पूरी आभा 
पूरे गौरव के साथ चलते रहो ।

सोमवार, 4 दिसंबर 2023

अपने हिन्दूस्तानके लिये उठो ।

पहले अपने हिन्दूस्तान के लिये उठो 

ऐ पढने लिखने वालो उठो 
ऐ कविता करने वालो उठो 
ऐ नाटक करने वालो उठो 
सब मंच सजाने वालो उठो 
सब कलम चलाने वालो उठो 
सब दिमाग लगाने वालो उठो 
सब आवाज उठाने वालो उठो 
कि 
कोई तुमारे अनंत नील गगन 
और तारो को छीन न ले 
उठो की चन्द्रमा तुम्हारा ही रहे 
प्रेम के लिये प्रेरित करता रहे 
उठो कि सूरज पर 
कोई अधिकार न जमा ले
और वो सबको रोशनी देता रहे 
उठो की हवाए 
किसी की कैद मे न हो 
स्वतंत्र चलती रहे 
उठो की हरियाली 
किसी की जागीर न हो
सबकी हो 
उठो की फूलो को 
खिलने से रोका न जा सके 
और सब फूल सब रंग
गुलजार करते रहे बगीचे को 
उठो की नदिया 
कोई सोख न ले 
और वो बहती रहे निरंतर
स्वछ और निर्मल 
उठो की आज़ादी महफ़ूज रहे 
उठो की जम्हूरियत 
किसी की जूती न बने 
उठो की लव खामोश न हो 
उठो कि तुम्हारी धड़कन
और तुम्हारी सांसे 
तुम्हारी ही हो 
उठो कि दुनिया 
अब शमसान न बने 
उठो की चंगेज स्टालिन
हिटलर मुसोलिनी 
अब कोई इन्सान न बने 
उठो अपनी आन बान
शान के लिये उठो 
उठो मानवता और 
दुनिया के लिये उठो 
पहले अपने हिन्दूस्तान
के लिये उठो ।