गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

शरीर भी कितना बेईमान है

ये शरीर भी कितना बेईमान है 
पर खुद को समझता महान है 
पर कही भी सरेंडर कर जाता है
कही अकड़ता कही शिथिल पड़ जाता है 
मच्छर भी काट ले तो बाप रे बाप 
कांटा भी चुभ जाये तो हाय ही हाय 
जरा सा टूट जाये तो औकात बताता है 
इश्क मे कदमो मे लेट जाता है 
नफरत मे अपनी औकात बताता है 
कितनी बड़ी बड़ी बाते बनाता है 
दूसरो से डरता है अपनो को सताता है 
बड़ी से बड़ी डीँग हाकता है 
मौका पडने पर लुढक जाता है 
जी हा पर शरीर तो शरीर है 
कोई मन ,दिल दिमाग और आत्मा तो नही 
जो इसे जैसे चलाते है वैसे चल जाता है 
शरीर बस पुतला है जिसमे दिल है 
शरीर एक अस्तित्व है जिसमे दिमाग है 
शरीर को बस शरीर ही रहने दो 
इसे कम्प्यूटर और गड़ित मत बनाओ 
इसका अपने दिमाग से प्रयोग करो 
और कुछ बुरा हो जाये यो भूल जाओ 
चलो शरीर का भरपूर उपयोग करो 
इसका जितना हो सके प्रयोग करो 
तभी शरीर शरीर रहेगा दौडेगा खेलगा 
जी हा इसकी भाषा को समझो तो 
फिर ये खूब खूब और बहुत खूब बोलेगा ।
अपने शरीर को खूब प्यार करो 
दूसरे के शरीर से भी मत इंकार करो ।
क्योकी शरीर नितांत क्षणभंगुर है 
जल जायेगा 
फिर क्या पता कब 
आप की किस्मत मे वापस आयेगा ।

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