बहुत दिनो के बाद
आज फिर उदासी ने घेर लिया
बहुत दिनो के बाद
आज अकेलेपन का एहसास हुआ
बहुत दिनो के बाद
आज मौन बहुत भारी है
बहुत दिनो के बाद
आज किताबे कितना काट रही है
बहुत दिनो के बाद
आज किबोर्ड पर उंगली सुन्न हुयी है
बहुत दिनो के बाद
आज आइना जैसे डर रहा है
बहुत दिनो के बाद
आज दीवारे कस कर बैठ गयी
बहुत दिनो के बाद
आज छत सर पर कितनी भारी है
बहुत दिनो के बाद
आज पौधे जलते से लगते है
बहुत दिनो के बाद
आज पांव घास मे झुलसे है
बहुत दिनो के बाद
आज खुद की लडाई खुद से है
बहुत दिनो के बाद
आज खुद से कितनी नफरत है
पर जाये भी तो कहा कहा
हर जगह यही सब होगा ना
खालीपन बेबसी बेचारगी
मरुस्थल का हिरन बन
भागे भी तो कहा कहा
संबल की प्यास लिये
सब जगह बस बालू है
झूठी सी आस लिये
भागे भी तो कहा कहा
बहुत दिनो के बाद
आज बहुत अधीर हो
थोडा सा रो लेगे
बहुत दिनो के बाद आज
थक कर कुछ सो लेंगे
बस इस उम्मीद से कि
कल शायद अच्छा हो ।