शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

मैं रबड़ का पेड़ हूँ कितना गिरा दो और दबा दो

मैं रबड़ का पेड़ हूँ कितना गिरा दो और दबा दो
नहीं होगी मौत मेरी फिर से मैं खड़ा हो जाऊंगा |

अपने जुल्म और हमारे इश्क की ये इन्तहा देखो

अपने जुल्म और हमारे इश्क की ये इन्तहा देखो
की मर गया मैं पर खुली आँखे तुम्हे तलाश रही |

देखना मुझ पर हमला कौन करता है

देखना मुझ पर हमला कौन करता है

अपनों की जेब में ही हैं खंजर छुपे हुए ।

तुम्हारे प्रेम में बर्बाद हो गया है कौन

तुम्हारे प्रेम में बर्बाद हो गया है कौन
कोई चिंता नहीं बंसी बजा रहे हो तुम |

मैं एक पत्ता नहीं हवा में उड़ा दे कोई

मैं एक पत्ता नहीं हवा में उड़ा दे कोई
जमीन में धंसी मेरी जड़े इमान की,
होगी उनके पास ताकत शैतान की
पर मेरे पास है इंसानियत इंसान की |

मैं हमेशा दरवाजा खुला रखता हूँ अपना

मैं हमेशा दरवाजा खुला रखता हूँ अपना
जाने कब कोई हवा का झोका आ जाये ।