सोमवार, 24 मई 2021

मगरूर होना चाहता हूं ।

मैं भी 
मगरूर होना चाहता हूं ।
महसूस करना चाहता हूं
रावण के अहंकार को 
अपने अंदर
इसलिए मुझे भी 
कुछ दिन सत्ता दे दो 
हे ईश्वर ।

मंगलवार, 18 मई 2021

गहन सन्नाटा

आप ने कभी
कोई बाँध टूटता हुआ देखा है 
शायद हाँ भी और ना भी 
वैसे ही 
कभी कभी फुट पड़ता है 
इंसान पूरे वेग से 
और बह जाता है 
वर्षो से रुका हुआ पानी 
और फिर 
छा जाता है गहन सन्नाटा ।

मंगलवार, 11 मई 2021

नदी में लाशें

नदी में तैरती लाशें 

जब लाइन लग गयी लाशों की
जब बोली लगने लगी लाशो की 
जब कंधे की क़ीमत हो गयी लाशो की 
जब लकड़ी ब्लैक होने लगी लाशो की 
जब टोकन मिलने लगे जलने को लाशो की 
तब
हाँ तब लाशें उठी और चल पड़ी 
नदियों की तरफ़ 
कि आग नही तो पानी ही सही 
जलेंगे नही तो कछुओं या किसी और 
जानवरों के भोजन के काम आ जाएँगे
आख़िर इनकी राख भी तो नदी में ही जाती है । 
वैसे भी कितना खर्च हो गया परिवारों का 
और खर्च को घर भी बिकवा दे क्या 
अपनो का 
और 
इन लाशो को तो अपने लेने ही नही आए 
लाश से रोग फैलता है 
पर लाश की सम्पत्ति और बैंक बैलेंस से नही 
इसलिए 
इन लाशों ने ख़ैरात से जलने से इनकार कर दिया 
और ख़ुद जाकर बह गयी नदी में 
किसी सरकार की कोई गलती नही 
गलती घर वाली की है 
की वो पैसे वाले क्यो नही 
और गलती लाशो की भी है 
की उसने अपनो को 
इतना कायर और स्वार्थी क्यो बनाया ।
नदी तो प्रतीक है इस व्यवस्था का 
और लाशें भारत की जनता का ।

शनिवार, 8 मई 2021

ईश्वर है भी या नही ?

ईश्वर है भी या नही ?

जिनके घर से 
कम हो जा रहे है लोग 
वो पूछ रहे है कि 
हमने क्या बुरा किया था 
या जाने वाले ने क्या किया था 
बता तो दो ईश्वर 
पर ईश्वर है मौन 
हजारो सालो से 
सब तो किया इश्वर को खुश करने को 
फिर भी इतने जुल्म 
तब सवाल पूछते है सब 
कौन सा ईश्वर  
जो कभी नही आया किसी के भी पुकारे 
शायद आया हो किसी युग मे 
और 
पता नही अब है भी या नही 
होता तो क्या ऐसा होता 
होता तो क्या ये सब होता ।