सोमवार, 13 जून 2011

मै समझा कि जब चाहूँगा दूरिया नाप दूंगा मै ,

मै समझा कि जब चाहूँगा दूरिया नाप दूंगा मै ,
दूरियों ने कहा हम तुमसे बस चार हाथ  दूर है 
चलो,बढ़ो तुम मुझे छू लो और चाहो तो पा लो
अरे तुम रुक क्यों गए बस चार हाथ ही दूर मै 
थक गए तो रुक जाओ और मेरा इंतजार करो 
मेरा रास्ता जब मुडकर बस तेरी तरफ आएगा  
दूरी नहीं रह जाएगी रास्ता तेरी तरफ आएगा   
क्या सचमुच मंजिल पाना मेरे हाथ में नहीं है 
मै  दर्द से  कराह रहा था कि मंजिल मेरी नहीं  
मंजिलो ने कहा मंजिल नहीं मंजिले भी है तेरी 
अब मै रुकूंगा नहीं चलूँगा मंजिले सब मेरी है