रविवार, 23 अक्तूबर 2011

देखो दीपक बोल रहा है

देखो दीपक बोल रहा है
हमारी आँखें खोल रहा है ,
सूरज का अहंकार है तोडा ,
अँधेरे का पीछा न छोड़ा ,
चाहे जितना जला रत भर ,
उसने अपना वचन न तोडा ,
सीख सकेंगे हम भी क्या दीपक की भाषा ,
हम भी फैला सकेंगे लोगो के जीवन में आशा ,
आओ इस दिवाली में ऐसी कसम खाए हम ,
जहा कही भी हो अँधेरा रोशनी पहुंचाए हम ,
वो रोशनी ज्ञान की हो ,नेत्रदान की हो ,
गरीबी,भूख ,अशिक्षा ,अपराध ,भ्रस्ताचार 
मिटाने के अभियान की हो |
तब दिए जलाएं, आप और आप के 
परिवार को दिवाली की शुभकामनायें |



















गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011