गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

कहूँ

कहूँ ,ना कहूँ या कह ही डालूँ
बीत जाती है, जिंदगी इसमे |


कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें