शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

उसे गिरना अच्छा लगता है

उसे ऐसा क्यों लगता है
कि
वो गिर गया है
और
खुद में एक बड़ा सवाल बन गया है
जिसे सुलझाने का कोई यंत्र नहीं
सुलझाते सुलझाते
और उलझ जाता है वो
अपने बनाये सवाल में
फिर सोचता है कि
वो अकेला तो नहीं गिरा
खाई थी
तभी तो गिरा
कितना दोगला है वो
वो खुद गिरना चाहता है
और गिरना चाहता है
फिर भी
खुद को धोखा देता है
शर्मिंदा होने के अभिनय से
और
खुद को सवाल बना कर
गिरना
उसका नशा बन गया गया है
और
उसकी नियति भी ।
पर कही तो ठहरेगा
उस दिन सवाल भी ठहर जायेंगे
और
उसके द्वन्द भी ।