सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

युद्ध की त्रासदी "

मेरी कविता -
"युद्ध की त्रासदी "

युद्ध खत्म होगा
और बैठ जायेगा
एक मेज पर 
हमेशा खत्म हुआ है 
कोई युद्ध नही चला 
अनंत काल तक
पर 
उसकी त्रासदी रहती है
अनंत काल तक 
मा पिता की आंख
सूनी रहती है 
अनंत काल तक 
पत्नी की मांग 
उजडी रहती है 
अनंत काल तक
बच्चो का सर 
बिना साये के रहता है 
अनंत काल तक 
मानवता ही नही 
लहू से सिंचित जमी 
रोती है अनंत काल तक ।

युद्ध

मेरी कविता 
"युद्ध "

राम कृष्ण बुद्ध 
मुहम्मद और ईसा 
नही खत्म कर पाये 
मानव के विनाश का युद्ध
ईसा को छोड सब 
खुद भी तो युद्धरत रहे 
और बो गये 
भले बुरे के नाम पर 
युद्ध की खेती 
जो हजारो साल से
फैलती ही जा रही है 
कौन मिटायेगा 
हर भाषा से 
ये शब्द "युद्ध "?

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

जो सत्ता के स्वर में बोलने लगूंगा ।

राजा ने मुनादी करवाया 
सबको बताया 
कि
आज से बिना इजाजत कोई मुंह नही खोलेगा 
और 
अगर खोलेगा तो केवल सत्ता के स्वर में ही बोलेगा 
अगले दिन राजा के दरबार में एक कुत्ता लाया गया 
उसपर बिना इजाजत मुंह खोलने और सत्ता के स्वर में न बोलने का इलाज लगाया गया 
हाकिम ने पूछा कि तूने मुंह क्यों खोला 
और सत्ता के स्वर में क्यों नही बोला 
कुत्ता बोला हुजूर मैं कुत्ता हूं 
जब भी बोलूंगा अपने स्वर में ही बोलूंगा 
भारत का सुपारी मीडिया और डरा हुआ आदमी नही हूं जो सत्ता के स्वर में बोलने लगूंगा । 

जीवन केवल मृग मरीचिका है

जीवन केवल मृग मरीचिका है 
विचार कुलांचे भरते रहते है 
रेगिस्तान के पानी के 
एहसास के साथ 
भागता रहता है इंसान 
और 
पानी के लिए तड़प 
दौड़ाती रहती है 
यहां से वहां तक
वहां से वहाँ तक ।
कोई साथी हो 
जो चिकोटी काट कर 
यथार्थ के धरातल पर उतार दे 
और 
वो भी नही है 
तो भटकन अनन्त है ।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

हिंदू कौन ?

हिंदू कौन ? 
और 
हिंदुस्तानी कौन ? 
जो इंसान हो 
और 
कर्म करे ईमानदारी से 
या कुछ न करे 
या 
लूट घूस झूठ सब करे 
इसपर सब मौन ।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

भेड़ों का झुंड या संगठन

पहले नेता विचार फैलाते थे 
फिर 
नेता वैचारिक संगठन बनाते थे ।
फिर नेता संगठन बनाने लगे 
जाती और धर्म आधारित ।
और 
अब नेता भेड़ो के झुण्ड बनाने लगे 
उनकी आवाज को विचार 
और 
उनकी रेवड़ को दल कहने लगे हैं ।

नियति के चौखट पर

मैं भी चाहता था कुलांचे भरना 
हिरन बन कर 
पर वक्त का शेर खा गया 
बहुत कोशिश की उड़ने की 
पंख लगा पक्षी बन कर 
पर 
बाज झपट पड़े हर बार 
फिर कोशिश की चलने की 
अपने पैरो से अपने पुरषार्थ भर 
पर 
खाईयां खोद दी गई 
और 
बार बार उसमे लोगो ने गिरा दिया 
अब 
हमने भी नियति के चौखट पर 
सर अपना रख दिया है ।

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

खुद की लाश

कुछ लाशे कितनी भारी होती है 
उठाना मुश्किल हो जाता है 
और 
बार बार कंधे बदलने पडते है 
या 
फिर गाडी पर ले जाना पडता है 
पर 
खुद की लाश को ढोना तो 
कितना मुश्किल होता है ।

बुधवार, 8 फ़रवरी 2023

मैं रबड़ का पेड़ हूँ कितना गिरा दो और दबा दो

मैं रबड़ का पेड़ हूँ कितना गिरा दो और दबा दो 

नहीं होगी मौत मेरी फिर से मैं खड़ा हो जाऊंगा

मजबूत हो गर आप चाहे जो खरीद लो कलम हो जुबान हो या फिर जमीर हो ।

मजबूत हो गर आप चाहे जो खरीद लो 
कलम हो जुबान हो या फिर जमीर हो ।

क्या बताये लोग अब उपलब्धियों के नाम पर मौज शौक नफरत और दौलत का भण्डार है ।

क्या बताये लोग अब  उपलब्धियों के नाम पर 
मौज शौक नफरत और दौलत का भण्डार है ।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

मन में ये तूफ़ान सा क्यों है

भीड़ इतनी है आसपास पर 
मन में ये तूफ़ान सा क्यों है 
मुस्कराते हुए चेहरे है सब है
हर कोई अनजान सा क्यों है ।
कोई अपना सा लगा ही क्यों
फिर ये बियाबान सा क्यों है 
आशंकाए इतनी क्यों तारी है
मन में ये शमसान सा क्यों है ।
छोड़ कर लौट चला है आशिक
टूटा हुवा और बेजान सा क्यों है ।
कोई तो अपना सहारा भी होगा
दिल हुवा ये असमान सा क्यों है ।

बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

न पहले रुका था न अब मैं रुकुंगा ।ना मैं थकूंगा न मैं हरगिज झुकूँगा

ना मैं थकूंगा न मैं हरगिज झुकूँगा 
खुशफहमी न पालो नहीं मैं रुकुंगा 
न जाने कितने झंझावातो को देखा 
कितनी कठिन दिन रातो को देखा 
न पहले रुका न अब मैं रुकुंगा
न पहले थका न अब मैं थकूंगा ।
चोटी  पर चढ़ कौन बसता वहां है 
समन्दर में जा कौन रुकता वहां है 
मैं भी सैलानी हूँ मैं क्यों बसूँगा 
मेरा भी सफ़र है मैं क्यों रुकूंगा 
ये जीवन है जब तक चलते ही जाना 
आसमा पर उड़ना जमी पर भी आना 
अंतिम सफ़र आसमा पर बसूँगा 
जमी घूम ली तो यहाँ क्यों रुकूंगा 
इश्वर होने की ग़लतफ़हमी है तुमको 
मैं इंसा हूँ  खुद पर भरोसा है मुझको 
हैं मेरे पांव अपने मैं उनसे चलूँगा 
न पहले रुक था न अब मैं रुकुंगा
कोई खुद को भगवान माने तो माने 
अपनी सारी शक्ति मुझ पर ही ताने 
ऐसी शक्ति से मैं न हरगिज डरूंगा 
न पहले रुका था न अब मैं रुकुंगा ।