पेड़ और पिता
पेड़ पर चहचाहती है चिड़िया
उछलती है फुदकती है
और बंदर भी इस डाल से उस डाल पर
धमाचौकड़ी करते रहते है
और
पिता के शरीर पर भी कूदते है बच्चे
पेड़ पर थक कर सो जाती है चिड़िया
और बंदर भी
पिता के पेट पर भी लेटते ही सो जाते है बच्चे
कभी पिता कुर्सी बन जाता है तो कभी घोड़ा
कभी पिता बिस्तर बन जाता है
और पेड़ भी तो
बच्चो के लिए छाया होता है पिता
और चिड़िया के लिए पेड़
कभी देखा है बंदर के बच्चे का दुस्साहस
और कूद पड़ने का प्रयास डालियों पर
उसे विश्वास है मां सम्हाल लेगी
पर इस कूद फांद में
पेड़ की कितनी पत्तियां और टहनियां टूट जाती है
बच्चे भी तो बिस्तर या कही भी ऊंचाई से
बस हाथ फैला कर कूद पड़ते है पिता के ऊपर
कि पिता गिरने नही देगा
बच्चो का विश्वास टूटने नही देता पिता
तभी तो
जब पिता उछाल देता है आसमान की तरफ
तो बच्चा डरता नहीं रोता नही हंसता है
जानता है कि पिता गिरने नही देगा
कहा से आता है बच्चो में ये आत्मविश्वास
और स्पर्श का भी कुछ होता है
कि पेट पर सुला कर थपकी देते ही सो जाते है बच्चे
पिता का हाथ हो या पांव झूला बन जाते है अक्सर
पेड़ की डाल की तरह ही
पिता फलदार पेड़ होता है
जब चाहा हाथ बढ़ाया और पा लिया खा लिया
पर जब फल हाथ नही आता है
तो पेड़ पत्थर की मार भी सहता है
बच्चे मारते नही पत्थर ,बस फल तोड़ते है
जब फल नही मिलता
तो पेड़ की तरफ कौन देखता है
उसे छोड़ दिया जाता है उपेक्षित
या काट कर कोने में डाल दिया जाता है
की कभी शायद किसी काम आ जाए ।